हिंदी समस्त आर्यावर्त की भाषा है। - शारदाचरण मित्र।
म्याऊँ-म्याऊँ  (बाल-साहित्य )  Click to print this content  
Author:श्रीप्रसाद

म्याऊँ म्याऊँ म्याऊँ
क्या खाऊँ, क्या खाऊँ

चूहे बड़े चतुर हैं
भागे इधर-उधर हैं
कैसे उनको पाऊँ
म्याऊँ म्याऊँ म्याऊँ

आज चली जाऊँगी
फिर न कभी आऊँगी
पर किस घर में जाऊँ
म्याऊँ म्याऊँ म्याऊँ

भूख लगी है ऐसी
तुमको लगती जैसी
कैसे तुम्हें बताऊँ
म्याऊँ म्याऊँ म्याऊँ

तुम कुछ अपने घर से
ला दो छींके पर से
अपनी भूख मिटाऊँ
म्याऊँ म्याऊँ म्याऊँ

- श्रीप्रसाद

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश