एक नंगा वृद्ध जिसका नाम लेकर मुक्त होने को उठा मिल हिंद कांपते थे सिन्धु औ' साम्राज्य सिर झुकाते थे सितमगर त्रस्त आज वह है बंद मेरे देश हिन्दुस्तान बर्बर आ रहा है जापान जागो जिन्दगी की शान
अरे हिन्दी कौन कहता है कि तू है रुद्ध कर न पायेगा भयंकर युद्ध युद्ध ही है आज सत्ता आज जीवन ।
देश संगठन कर जातियों की लहर मिलकर तू भयानक सिंधु, राष्ट्र रक्षा के लिए जो धीर फ़िर उठाले आज संस्कृति की पुरानी लाज से भीगी हुई तलवार ।
-रांगेय राघव
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