हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया। - राजेंद्रप्रसाद।
प्रो. जगदम्बा प्रसाद दीक्षित नहीं रहे (विविध)  Click to print this content  
Author:भारत-दर्शन संकलन

22, मई, 2014: मात्र एक उपन्यास से हिंदी साहित्यकार के रूप में प्रतिष्ठित हुए प्रो. जगदम्बा प्रसाद दीक्षित नहीं रहे। जर्मनी के शहर बर्लिन में उनका देहांत हो गया।

श्री दीक्षित का जन्म 1935 में बालाघा‌ट (म. प्र) में हुआ था। स्व. दीक्षित मुंबई के सैंट जेवियर्स कॉलेज में हिंदी के प्रोफ़ेसर रहे हैं।

मुरदा-घर, कटा हुआ आसमान व इतिवृत्त उपन्यासों के अतिरिक्त एक कहानी-संग्रह, 'शुरुआत और अन्य कहानियाँ' आपकी मुख्य कृतियां थी।

मुरदा-घर में सामाजिक विसंगतियों और विषमताओं का यथार्थपूर्ण चित्रणकिया गया था। इसमें वर्तमान राज्य-तन्त्र के आमानवीय रूप को भी उकेरा गया।

 

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश