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मैया का आयावृद्धाश्रम से खतकैसे हो बेटा
मना ले आयेनाराज समधी कोमाँ के गहने
बड़े बंगलेहरे भरे गमलेमुरझाई माँ
गटक गईबाबुल की शराबमैया की दवा
थमा जो तूफांबुहारने चली माँरिश्तों से धूल
पड़ी जो डाँटमैं रोया झूठमूठमाँ सचमुच
- अभिषेक जैन
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