Warning: session_start(): open(/tmp/sess_df3a4c923b59f7b81f0922039c36b6c6, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/cat_details.php on line 2

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/cat_details.php on line 2
 लघुकथाएं | Hindi Short Stories | Bharat-Darshan NZ
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।

लघुकथाएं

लघु-कथा, *गागर में सागर* भर देने वाली विधा है। लघुकथा एक साथ लघु भी है, और कथा भी। यह न लघुता को छोड़ सकती है, न कथा को ही। संकलित लघुकथाएं पढ़िए -हिंदी लघुकथाएँप्रेमचंद की लघु-कथाएं भी पढ़ें।

Article Under This Catagory

दो विद्वान - खलील जिब्रान

एक बार एक प्राचीन नगर में दो विद्वान रहते थे। दोनों बड़े विद्वान थे लेकिन दोनों के बीच बड़ा मनमुटाव था। वे एक-दूसरे के ज्ञान को कमतर आँकने में लगे रहते।  

 
खुले द्वार - श्यामू सन्यासी

मिट्टी के ढेर पर ठीकरी-ठीकरी हंडिया आ बिखरी।

 
बातचीत - भारत-दर्शन संकलन

साधु—'तुम आज भिक्षा के लिए नहीं गई?’

 
सॉरी - महेश दर्पण

सड़क पर दो लोग आमने-सामने से आ रहे थे, लेकिन अपने आप में इस कदर मशगूल कि किसी दूसरे के बारे में सोचने की तो जैसे फुरसत ही न हो। एक अपने मोबाइल पर आया कोई एस.एम.एस. देखने में बिजी था तो दूसरा यह जानने की कोशिश में था कि आखिर अभी-अभी आया मिसकॉल है किसका। वे दोनों इस कदर करीब आ चुके थे कि किसी भी वक्त टकरा सकते थे। ठीक इसी वक्त पास से गुजरते एक बच्चे ने उन्हें देख लिया। उसके मुँह से निकल पड़ा, "अंकल, सामने तो देखिए!"

 
प्राण संवाद - भारत-दर्शन संकलन

सब इन्द्रियों ने श्रेष्ठता के लिए "मैं बड़ा हूँ, मैं बड़ा हूँ" कह- कर आपस में विवाद किया। उन इन्द्रियों ने पिता प्रजापति के पास जाकर पूछा "भगवन्, हममें कौन श्रेष्ठ है?" प्रजापति ने उत्तर दिया,"जिसके निकल जाने से शरीर सबसे अधिक दुर्दशा को पाता है, तुममें वही श्रेष्ठ है।"

 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश