जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।

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कुछ हाइकु - डॉ विद्या विंदु सिंह

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पुआल के बिछौने 
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