जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं। - सेठ गोविंददास।
ग़ज़लें 
ग़ज़ल क्या है? यह आलेख उनके लिये विशेष रूप से सहायक होगा जिनका ग़ज़ल से परिचय सिर्फ पढ़ने सुनने तक ही रहा है, इसकी विधा से नहीं। इस आधार आलेख में जो शब्‍द आपको नये लगें उनके लिये आप ई-मेल अथवा टिप्‍पणी के माध्‍यम से पृथक से प्रश्‍न कर सकते हैं लेकिन उचित होगा कि उसके पहले पूरा आलेख पढ़ लें; अधिकाँश उत्‍तर यहीं मिल जायेंगे। एक अच्‍छी परिपूर्ण ग़ज़ल कहने के लिये ग़ज़ल की कुछ आधार बातें समझना जरूरी है। जो संक्षिप्‍त में निम्‍नानुसार हैं: ग़ज़ल- एक पूर्ण ग़ज़ल में मत्‍ला, मक्‍ता और 5 से 11 शेर (बहुवचन अशआर) प्रचलन में ही हैं। यहॉं यह भी समझ लेना जरूरी है कि यदि किसी ग़ज़ल में सभी शेर एक ही विषय की निरंतरता रखते हों तो एक विशेष प्रकार की ग़ज़ल बनती है जिसे मुसल्‍सल ग़ज़ल कहते हैं हालॉंकि प्रचलन गैर-मुसल्‍सल ग़ज़ल का ही अधिक है जिसमें हर शेर स्‍वतंत्र विषय पर होता है। ग़ज़ल का एक वर्गीकरण और होता है मुरद्दफ़ या गैर मुरद्दफ़। जिस ग़ज़ल में रदीफ़ हो उसे मुरद्दफ़ ग़ज़ल कहते हैं अन्‍यथा गैर मुरद्दफ़।

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मंज़िलों की खोज में तुमको जो चलता सा लगा  -  संजय ग्रोवर
 
लूट मची है चारों ओर | ग़ज़ल  -  राहत इंदौरी
 
खुद ही बनाया और बिगाड़ा तकदीरों को  -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
रोहित कुमार 'हैप्पी' की ग़ज़लें  -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
ऐ ज़िन्दगी मत पूछ -  शांती स्वरूप मिश्र
 
अश़आर -  मुन्नवर राना
 
दो ग़ज़लें -  प्रगीत कुँअर
 
अजीब क़िस्म का अहसास -  ज्ञानप्रकाश विवेक
 
हमने कोशिश करके देखी | ग़ज़ल -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
आँख से सपने चुराने आ गए | ग़ज़ल -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
घर-सा पाओ चैन कहीं तो |ग़ज़ल  -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
खुद ही बनाया | ग़ज़ल -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
मुझको अपने बीते कल में | ग़ज़ल -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
रोहित कुमार हैप्पी की ग़ज़लें -  भारत दर्शन
 
हमको सपने टूटने का ग़म नहीं | ग़ज़ल -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
आप के एहसान नीचे | ग़ज़ल -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
हाथ में हाथ मेरे | ग़ज़ल -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
देख लिया ग़ैर को | ग़ज़ल -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
हम मन में अपने विष कभी घोलते नहीं | ग़ज़ल -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
झूठ के साए में | ग़ज़ल -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
हमने किए जो वादे | ग़ज़ल -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
दो ग़ज़लें  -  कृष्ण सुकुमार | Krishna Sukumar
 
सीता का हरण होगा | सीता का हरण होगा | उदयभानु 'हंस' की ग़ज़ल -  उदयभानु 'हंस'
 
जब धनुष सँभाला है | ग़ज़ल -  उदयभानु 'हंस'
 
तेरा हँसना कमाल था साथी | ग़ज़ल -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
अपना ग़म लेके | ग़ज़ल -  निदा फ़ाज़ली
 
हमने अपने हाथों में | ग़ज़ल -  उदयभानु हंस
 
दीवाली के दीप जले -  ‘फ़िराक़’ गोरखपुरी
 
मेरे दुख की कोई दवा न करो  | ग़ज़ल -  सुदर्शन फ़ाकिर
 
ग़ज़लें ही ग़ज़लें -  भारत-दर्शन संकलन
 
ना जाने मेरी जिंदगी यूँ वीरान क्यूँ है | ग़ज़ल -  डा अदिति कैलाश
 
वो जब भी | ग़ज़ल -  डा भावना
 
क्या ख़ास क्या है आम -  हस्तीमल हस्ती
 
तुझसे मिलकर हमें महसूस ये होता रहा है | ग़ज़ल -  डा भावना
 
हटाओ धूल ये रिश्ते संभाल कर रक्खो | ग़ज़ल -  अखिलेश कृष्णवंशी
 
क्या मैं गूँगा, बहरा और अंधा हो जाऊं | ग़ज़ल -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
लोग क्या से क्या न जाने हो गए | ग़ज़ल -  डॉ. शम्भुनाथ तिवारी
 
क्या कहें ज़िंदगी का फ़साना मियाँ | ग़ज़ल -  डॉ. शम्भुनाथ तिवारी
 
उग बबूल आया, चन्दन चला गया | ग़ज़ल -  संजय तन्हा
 
जहाँ जाते हैं हम... -  उदय प्रताप सिंह
 
ढूँढा है हर जगह पे... -  हस्तीमल हस्ती
 
मतदान आने वाले ,सरगर्मियाँ बढ़ीं | ग़ज़ल -  संजय तन्हा
 
नहीं कुछ भी बताना चाहता है -  डॉ.शम्भुनाथ तिवारी
 
हिन्‍दू या मुस्लिम के | ग़ज़ल  -  अदम गोंडवी
 
इस दुनिया के रंग निराले -  रोहित कुमार हैप्पी
 
कुँअर बेचैन की ग़ज़लें  -  कुँअर बेचैन
 
जाने क्यों कोई शिकायत नहीं आती | ग़ज़ल -  डॉ. मनु प्रताप सिंह
 
आपसे सच कहूँ मौसम हूँ | ग़ज़ल -  सूबे सिंह सुजान
 
बिला वजह आँखों के | ग़ज़ल -  डॉ. शम्भुनाथ तिवारी
 
तूने मुझे निकलने को जब रास्ता दिया | ग़ज़ल -  सूबे सिंह सुजान
 
अभी होली दिवाली | ग़ज़ल -  शुभम् जैन
 
तू है बादल -  लक्ष्मी शंकर वाजपेयी
 
क्यों दीन-नाथ मुझपै | ग़ज़ल -  अज्ञात
 
जो कुछ है मेरे दिल में -  अनिल कुमार 'अंदाज़'
 
मन में रहे उमंग तो समझो होली है | ग़ज़ल -  गिरीश पंकज
 
हर कोई है मस्ती का हकदार सखा होली में  -  डॉ. श्याम सखा श्याम
 
कभी पत्थर कभी कांटे कभी ये रातरानी है -  डॉ. श्याम सखा श्याम
 
यहाँ कुछ रहा हो | ग़ज़ल -  शमशेर बहादुर सिंह
 
तेरा हाल मुझसे -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
दो ग़ज़लें -  बलजीत सिंह 'बेनाम'
 
बंदगी के सिवा ना हमें कुछ गंवारा हुआ -  रामकिशोर उपाध्याय
 
शायर बहुत हुए हैं--|  -  निज़ाम-फतेहपुरी
 
काजू भुने पलेट में | ग़ज़ल  -  अदम गोंडवी
 
आंखों में उसका चेहरा है | ग़ज़ल -  डा भावना
 
यह जो बादल है | ग़ज़ल -  डा भावना
 
नदियों के गंदे पानी को | ग़ज़ल -  डा भावना
 
कभी दो क़दम.. | ग़ज़ल -  गुलाब खंडेलवाल
 
आप क्यों दिल को बचाते हैं यों टकराने से | ग़ज़ल -  गुलाब खंडेलवाल
 
रुख से उनके हमें -  सुभाष श्याम सहर्ष
 
सब फैसले होते नहीं... -  उदय प्रताप सिंह
 
इस दौर में... -  उदय प्रताप सिंह
 
ये किसने भीड़ में -  श्याम ‘निर्मम'
 
अपने होने का पता  -  विजयकुमार सिंघल
 
मन रामायण जीवन गीता -  सोम अधीर
 
ऐसा नहीं कि... -  रोहित कुमार हैप्पी
 
डॉ. राकेश जोशी की चार ग़ज़लें -  डॉ. राकेश जोशी
 
दो ग़ज़लें  -  सुनीता काम्बोज
 
ग़ज़ल - अमन का फ़रमान  -  अफरंग
 
दो ग़ज़लें  -  डॉ भावना
 
ग़ज़ल  -  शुकदेव पटनायक 'सदा'
 
ग़ज़ल  -  गौरव सक्सेना
 
दो ग़ज़लें  -  अंकित
 
दो ग़ज़लें  -  अजय अज्ञात
 
ग़ज़ल  -  शशिकान्त मिश्रा
 
ग़ज़ल -  शुभांगिनी कुमारी चन्द्रिका
 
दो ग़ज़लें  -  शांती स्वरुप मिश्र
 
यारो उम्र गुज़ार दी | ग़ज़ल -  शांती स्वरूप मिश्र
 
हाँ, तुम जुगनू को | ग़ज़ल  -  रोहित कुमार हैप्पी
 
आया कुछ पल -  सोम नाथ गुप्ता
 
मत पूछिये क्यों... -  शेरजंग गर्ग
 
आँखों में रहा.. -  बशीर बद्र
 
अगर हम कहें... -  सुदर्शन फ़ाकिर
 
अहमद फ़राज़ की दो ग़ज़लें  -  अहमद फ़राज़
 
दिन को भी इतना अंधेरा  -  ज़फ़र गोरखपुरी
 
चेहरा जो किसी शख्स का... -  नरोत्तम शर्मा
 
अभी ज़मीर में... | ग़ज़ल -  जावेद अख़्तर
 
शहीर जलाली की दो ग़ज़लें  -  शहीर जलाली
 
कभी घर में नहीं... -  बसंत कुमार शर्मा
 
जबसे लिबासे-शब्द मिले -  दीपशिखा सागर
 
बेच डाला जिस्म... -  गिरीश पंकज
 
संध्या नायर की दो ग़ज़लें  -  संध्या नायर
 
अभिषेक कुमार सिंह की दो ग़ज़लें -  अभिषेक कुमार सिंह
 
जल को तरसे हैं ...  -  जया गोस्वामी
 
झूठों ने झूठों से... -  राहत इन्दौरी
 
तू शब्दों का दास रे जोगी -  राहत इन्दौरी
 
टूटा हुआ दिल... -  राहत इन्दौरी
 
जहाँ पेड़ पर... -  बशीर बद्र
 
अंजुम रहबर की दो ग़ज़लें  -  अंजुम रहबर
 
एक दरी, कंबल, मफलर -  अशोक वर्मा
 
रिश्ते, पड़ोस, दोस्त -  उर्मिलेश
 
हर एक चेहरे पर | ग़ज़ल -  शांती स्वरूप मिश्र
 
न जाने इस जुबां पे | ग़ज़ल -  शांती स्वरूप मिश्र
 
घर जला भाई का -  खुरशीद
 
रंज इस का नहीं कि हम टूटे | ग़ज़ल -  सूर्यभानु गुप्त
 
न हारा है इश्क़-- -  ख़ुमार बाराबंकवी
 
जाम होठों से फिसलते -  शांती स्वरुप मिश्र
 
हर लम्हा ज़िंदगी के-- -  सूर्यभानु गुप्त
 
ग़ज़ल  -  ए. डी राही
 
माना, गले से सबको -  प्राण शर्मा
 
मिलती हैं आजकल  -  गुलशन मदान की गज़ल
 
उदासियों का मौसम---  -  शांती स्वरुप मिश्र
 
कुमार नयन की दो ग़ज़लें  -  कुमार नयन
 
मशगूल हो गए वो -  रोहित कुमार 'हैप्पी'
 
ग़रीबों, बेसहारों को -  सर्वेश चंदौसवी
 
काम बनता हुआ भी बिगड़े सब | ग़ज़ल -  अंकुर शुक्ल 'अनंत'
 
ये दुनिया तुम को रास आए तो कहना | ग़ज़ल -  जावेद अख्तर
 
बात सच्ची कहो | ग़ज़ल -  निज़ाम फतेहपुरी
 
गठरी में ज़रूरत का ही सामान रखियेगा | ग़ज़ल  -  ज़फ़रुद्दीन "ज़फ़र"
 
है मुश्किलों का दौर -  शांती स्वरुप मिश्र
 
ख़ुदा पर है यक़ीं जिसको | ग़ज़ल -  निज़ाम फतेहपुरी
 
जिनसे हम छूट गये -  राही मासूम रजा
 
ये दुनिया हमें रास आई नहीं | ग़ज़ल -  सलिल सरोज
 
नया साल मुबारक | ग़ज़ल -  शिव मोहन सिंह 'शुभ्र'
 
जो पाया नहीं है | ग़ज़ल -  ज़फ़रुद्दीन ज़फ़र
 
दो ग़ज़लें -  राजीव कुमार सिंह
 
कहाँ तक बचाऊँ ये-- | ग़ज़ल -  ममता मिश्रा
 
वो बचा रहा है गिरा के जो -  निज़ाम-फतेहपुरी
 
दो ग़ज़लें  -  विनीता तिवारी
 
खड़ी आँगन में अगर | ग़ज़ल -  शांती स्वरुप मिश्र
 
ज़हन में गर्द जमी है--- -  ज़फ़रुद्दीन ज़फ़र
 
हमन है इश्क मस्ताना -  कबीर
 
शहरों में बस्तियां -  ज़फ़रुद्दीन ज़फ़र
 
आदमी आदमी को क्‍या देगा | ग़ज़ल -  सुदर्शन फ़ाकिर
 
दिल के मचल रहे मेरे -  निज़ाम-फतेहपुरी
 
शेर होकर भी--- -  ज़फ़रुद्दीन ज़फ़र
 
भला करके बुरा बनते रहे हम -  डॉ राजीव कुमार सिंह
 
छन-छन के हुस्न उनका | ग़ज़ल -  निज़ाम-फतेहपुरी
 
हिसाबे-इश्क़ है साहिब | ग़ज़ल -  अरविन्द कुमार सिंहानिया
 
लोग टूट जाते हैं | ग़ज़ल -  बशीर बद्र
 
बयानों से वो बरगलाने लगे हैं -  डॉ राजीव सिंह
 
ज़िन्दगी को औरों की -  ज़फ़रुद्दीन ज़फ़र
 
यूँ कहने को बहकता जा रहा हूँ -  नरेश शांडिल्य
 
लोग उस बस्ती के यारो | ग़ज़ल -  सुरेन्द्र चतुर्वेदी
 
टूट कर बिखरे हुए... -  ज़फ़रुद्दीन ज़फ़र
 
जिंदगी इक सफ़र है | ग़ज़ल -  निज़ाम-फतेहपुरी
 
ज़ख्म को भरने का दस्तूर होना चाहिए -  ज़फ़रुद्दीन ज़फ़र
 
क्यों निस दिन... | हिंदी ग़ज़ल -  अलताफ़ मशहदी
 
रूख़ सफ़र का... | ग़ज़ल -  अनन्य राय पराशर
 
मेरी आरज़ू रही आरज़ू | ग़ज़ल -  निज़ाम-फतेहपुरी
 
विनीता तिवारी की दो ग़ज़लें -  विनीता तिवारी
 
तड़पते दिल के लिए -  उपेन्द्र कुमार
 
शक के मुंह में | ग़ज़ल -  अजहर हाशमी
 
मैं अकेला और भी... -  ज़फ़रुद्दीन ज़फ़र
 
आने वाले वक़्त के -  कंवल हरियाणवी
 
ख़ुशी अपनी करे साझी -  प्राण शर्मा
 
मनीष कुमार मिश्रा की दो ग़ज़लें  -  मनीष कुमार मिश्रा
 
आँखों में रहा दिल में... | ग़ज़ल -  बशीर बद्र
 
नित नई नाराज़गी... | ग़ज़ल -  प्राण शर्मा
 
ज़माना आ गया... -  बलबीर सिंह रंग
 
एक गहरा दर्द... | ग़ज़ल -  अश्वघोष
 
किस्से नहीं हैं ये किसी... -  ज़हीर कुरेशी
 
हमें अपनी हिंदी... | ग़ज़ल -  देवी नागरानी
 
जो किसी का बुरा... -  शिव ओम अंबर
 
छाया के नहीं मिलते... -  ज़फ़रुद्दीन ज़फ़र
 
रात दिन यूं चला -  सूर्यभानु गुप्त
 
इसलिए तारीख ने... | ग़ज़ल -  भवानी शंकर

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