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 आपकी हँसी | रघुवीर सहाय की कविताएँ
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।
आपकी हँसी  (काव्य)    Print  
Author:रघुवीर सहाय | Raghuvir Sahay
 

निर्धन जनता का शोषण है
कह कर आप हँसे
लोकतंत्र का अंतिम क्षण है
कह कर आप हँसे
सबके सब हैं भ्रष्टाचारी
कह कर आप हँसे
चारों ओर बड़ी लाचारी
कह कर आप हँसे
कितने आप सुरक्षित होंगे
मैं सोचने लगा
सहसा मुझे अकेला पा कर
फिर से आप हँसे

- रघुवीर सहाय
[साभार - हँसो हँसो जल्दी हँसो]

 

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