Warning: session_start(): open(/tmp/sess_7bbc7b76c6da30da09c0c9064e6913e1, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_collect_details.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_collect_details.php on line 1
 तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव | ग़ज़ल | Hindi Ghazal by Adam Gondvi
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।
तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है | ग़ज़ल (काव्य)    Print  
Author:अदम गोंडवी
 

तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आँकड़ें झूठे हैं ये दावा किताबी है

उधर जम्हूरियत का ढोल पीटे जा रहे हैं वो
इधर पर्दे के पीछे बर्बरीयत है नवाबी है

लगी है होड़-सी देखो अमीरी और ग़रीबी में
ये पूँजीवाद के ढाँचे की बुनियादी ख़राबी है

तुम्हारी मेज़ चाँदी की तुम्हारे जाम सोने के
यहाँ ज़ुम्मन के घर में आज भी फूटी रक़ाबी है

-अदम गोंडवी

* जम्हूरियत = प्रजातंत्र
   रक़ाबी = तश्तरी /प्लेट

 

 

Back
 
 
Post Comment
 
  Captcha
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश