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 ये गजरे तारों वाले | Hindi poem by Dr. Ramkumar Verma
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।
ये गजरे तारों वाले (काव्य)    Print  
Author:डॉ रामकुमार वर्मा
 

इस सोते संसार बीच,
जग कर सज कर रजनी वाले !
कहाँ बेचने ले जाती हो,
ये गजरे तारों वाले ?

मोल करेगा कौन,
सो रही हैं उत्सुक आँखें सारी ।
मत कुम्हलाने दो,
सूनेपन में अपनी निधियाँ न्यारी ॥

निर्झर के निर्मल जल में,
ये गजरे प्रतिबिंबित धोना ।
लहर हहर कर यदि चूमे तो,
किंचित् विचलित मत होना ॥

होने दो प्रतिबिम्ब विचुम्बित,
लहरों ही में लहराना ।
लो मेरे तारों के गजरे
निर्झर-स्वर में यह गाना ॥

यदि प्रभात तक कोई आकर,
तुम से हाय न मोल करे।
तो फूलों पर ओस-रूप में
बिखरा देना सब गजरे॥

- रामकुमार वर्मा
 (अंजलि से)

 

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