Warning: session_start(): open(/tmp/sess_19e4bb0f1b0b116e241c883a7a518322, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_collect_details.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_collect_details.php on line 1
 इतिहास गवाह है | रामनिवास मानव की लघु-कथा | A Short Story by Dr Ramniwas Manav
भारत की सारी प्रांतीय भाषाओं का दर्जा समान है। - रविशंकर शुक्ल।
इतिहास गवाह है (कथा-कहानी)    Print  
Author:डॉ रामनिवास मानव | Dr Ramniwas Manav
 

उसकी निगाह अलमारी पर गई, तो देखा, रवि ने उसकी सारी किताबों तथा कई दूसरी ज़रूरी चीजों को, बेतरह एक ओर खिसका कर, वहां अपना बस्ता जँचा दिया है। उसे बच्चे की इस हरकत पर ग़ुस्सा तो नहीं आया, पर पूछ लिया, "रवि महाशय, तुमने मेरी चीज़ें उधर क्यों खिसका दी हैं?"

"मेरा बस्ता ठीक से नहीं आ रहा था ना, इसलिए।" बच्चे ने सहज भाव से उत्तर दिया।

बच्चे का उत्तर सुनकर उसे लगा, जैसे वह बूढ़ा हो गया है और रवि ने, उसकी चारपाई कमरे से निकालकर, बाहर बरामदे में डाल दी है, क्योंकि कमरे में उसकी चारपाई ठीक-से जो नहीं आ रही थी।

उसे एकाएक याद हो आया, दस वर्ष पूर्व उसने भी तो यही किया था, अपने बूढ़े बाप के साथ।

- डॉ रामनिवास मानव

 

Back
 
 
Post Comment
 
  Captcha
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश