डॉ. रामकुमार वर्मा का जन्म 15 सितंबर 1905 को हुआ था।
आप आधुनिक हिन्दी साहित्य में 'एकांकी सम्राट' के रूप में प्रसिद्ध हैं। डॉ. रामकुमार वर्मा हिन्दी भाषा के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, व्यंग्यकार और हास्य कवि के रूप में जाने जाते हैं।
प्रस्तुत है, डा. वर्मा की एक कविता -
ये गजरे तारों वाले
इस सोते संसार बीच, जग कर सज कर रजनी वाले! कहाँ बेचने ले जाती हो, ये गजरे तारों वाले? मोल करेगा कौन, सो रही हैं उत्सुक आँखें सारी। मत कुम्हलाने दो, सूनेपन में अपनी निधियाँ न्यारी॥ निर्झर के निर्मल जल में, ये गजरे प्रतिबिंबित धोना। लहर हहर कर यदि चूमे तो, किंचित् विचलित मत होना॥ होने दो प्रतिबिम्ब विचुम्बित, लहरों ही में लहराना। लो मेरे तारों के गजरे निर्झर-स्वर में यह गाना॥ यदि प्रभात तक कोई आकर, तुम से हाय न मोल करे। तो फूलों पर ओस-रूप में बिखरा देना सब गजरे॥
- रामकुमार वर्मा (अंजलि से) |