सुभद्राकुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) का जन्म नागपंचमी के दिन 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद (उत्तरप्रदेश) के निकट निहालपुर गाँव में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था।
सुभद्राकुमारी को बचपन से ही काव्य-ग्रंथों से विशेष लगाव व रूचि थी। आपका विद्यार्थी जीवन प्रयाग में ही बीता।
'चमक उठी सन् सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी ख़ूब लड़ी मरदानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।'
हिंदी साहित्य को 'झांसी की रानी' जैसी अमर कृति देने वाली, 'सुभद्राकुमारी' निसंदेह हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से एक हैं।
अल्पायु आयु में ही सुभद्रा की पहली कविता प्रकाशित हुई थी।
सुभद्रा और महादेवी वर्मा दोनों बचपन की सहेलियाँ थीं।
सुभद्राकुमारी का विवाह खंडवा (मध्य प्रदेश) निवासी 'ठाकुर लक्ष्मण सिंह' के साथ हुआ। पति के साथ वे भी महात्मा गांधी के आंदोलन से जुड़ गईं और राष्ट्र-प्रेम पर कविताएं करने लगी। 1948 में एक सड़क दुर्घटना में आपका निधन हो गया।
[भारत-दर्शन संकलन] |