Warning: session_start(): open(/tmp/sess_78c8a0933062fedcdd074482bacffa5a, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/festival_details.php on line 3

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/festival_details.php on line 3
 अँग्रेज़ी - बरसाने लाल चतुर्वेदी की कविता Of Bharat Darshan
भारत की सारी प्रांतीय भाषाओं का दर्जा समान है। - रविशंकर शुक्ल।
अँग्रेज़ी - बरसाने लाल चतुर्वेदी की कविता
 
 

अँग्रेज़ी प्राणन से प्यारी।
चले गए अँग्रेज़ छोड़ि याहि, हमने है मस्तक पे धारी।
ये रानी बनिके है बैठी, चाची, ताई और महतारी।
उच्च नौकरी की ये कुंजी, अफसर यही बनावनहारी।
सबसे मीठी यही लगत है, भाषाएँ बाकी सब खारी।
दो प्रतिशत लपकन ने याकू, सबके ऊपर है बैठारी।
याहि हटाइबे की चर्चा सुनि, भक्तन के दिल होंइ दु:खारी।
दफ्तर में याके दासन ने, फाइल याही सौं रंगडारीं।
याके प्रेमी हर आफिस में, विनते ये नाहिं जाहि बिसारी।

-बरसाने लाल चतुर्वेदी

 
 
 
 
Post Comment
 
Name:
Email:
Content:
Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश