जब हम अपना जीवन, जननी हिंदी, मातृभाषा हिंदी के लिये समर्पण कर दे तब हम किसी के प्रेमी कहे जा सकते हैं। - सेठ गोविंददास।

शिवरानी देवी प्रेमचंद

शिवरानी देवी प्रेमचंद कथा-सम्राठ मुंशी प्रेमचंद की जीवन-संगिनी थीं।

शिवरानी देवी के पिता का नाम मुंशी देवीप्रसाद था। शिवरानी बाल-विधवा थीं व 1905 में शिवरानी का विवाह मुंशी प्रेमचंद से हुआ।

शिवरानी ने स्वाधीनता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। आप स्वाधीनता के लिए लड़ीं व 1930 में आपको 2 महीने का कारावास हुआ।

'प्रेमचंद घर में' आपकी चर्चित साहित्य-कृति है। आपकी रचनाएं चाँद व हंस में प्रकाशित होती रही हैं।

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कप्तान

ज़ोरावर सिंह की जिस दिन शादी हुई, बहू आई, उसी रोज़ ज़ोरावर सिंह की कप्तानी को जगह मिली। घर में आकर बोला ज़ोरावर अपनी बीवी से -- 'तुम बड़ी भाग्यवान हो। कल तुम आई नहीं, आज मैं कप्तान बन बैठा ।'

उसकी बीवी का नाम सुभद्रा; सुभद्रा यह सब सुन करके ख़ुश होने के बजाय चिन्तित हो गई।
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