साहित्य की उन्नति के लिए सभाओं और पुस्तकालयों की अत्यंत आवश्यकता है। - महामहो. पं. सकलनारायण शर्मा।
विविध
विविध, Hindi Miscellaneous

Articles Under this Category

पांच पर्वों का प्रतीक है दीवाली - भारत-दर्शन संकलन

त्योहार या उत्सव हमारे सुख और हर्षोल्लास के प्रतीक है जो परिस्थिति के अनुसार अपने रंग-रुप और आकार में भिन्न होते हैं। त्योहार मनाने के विधि-विधान भी भिन्न हो सकते है किंतु इनका अभिप्राय आनंद प्राप्ति या किसी विशिष्ट आस्था का संरक्षण होता है। सभी त्योहारों से कोई न कोई पौराणिक कथा अवश्य जुड़ी हुई है और इन कथाओं का संबंध तर्क से न होकर अधिकतर आस्था से होता है। यह भी कहा जा सकता है कि पौराणिक कथाएं प्रतीकात्मक होती हैं।
...

अहोई अष्टमी  - भारत-दर्शन संकलन

कार्तिक कृष्णा अष्टमी को यह व्रत किया जाता है। यह व्रत वे ही स्त्रियाँ करती हैं जिनके सन्तान होती है। स्त्रियाँ दिनभर व्रत रखती हैं। सांयकाल को दीवार पर आठ कोष्ठक की पुतली लिखी जाती है। उसी के पास सेई और सेई के बच्चों के चित्र भी बनाए जाते हैं।
...

सिद्धार्थ मल्होत्रा न्यूजीलैंड पर्यटन के भारतीय दूत  - भारत-दर्शन समाचार

बॉलीवुड के नवोदित अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा को 'न्यूजीलैंड पर्यटन' (Tourism New Zealand) का भारतीय दूत नियुक्त किया गया है। वर्ष 2012 में प्रदर्शित फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर' से बॉलीवुड में अपने अभिनय-जीवन की शुरूआत करने वाले ‘ब्रदर्स' के 30 वर्षीय अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा ‘टूरिज्म न्यूजीलैंड' के पहले भारतीय दूत हैं।
...

साहूकार और सेह | अहोई अष्टमी व्रत कथा - भारत-दर्शन संकलन

अहोई अष्टमी व्रत कथा-1

प्राचीन काल में किसी नगर में एक साहूकार रहता था। उसके सात लड़के थे। दीपावली से पहले साहूकार की स्त्री घर की लीपापोती हेतु मिट्टी लेने खदान में गई और कुदाल से मिट्टी खोदने लगी। दैवयोग से उसी जगह एक सेह की मांद थी। सहसा उस स्त्री के हाथ से कुदाल बच्चे को लग गई जिससे सेह का बच्चा तत्काल मर गया। अपने हाथ से हुई हत्या को लेकर साहूकार की पत्नी को बहुत दुख हुआ परन्तु अब क्या हो सकता था! वह शोकाकुल पश्चाताप करती हुई अपने घर लौट आई। 
...

बच्चों को ‘विश्व बंधुत्व’ की शिक्षा  - डा. जगदीश गांधी

(1) विश्व में वास्तविक शांति की स्थापना के लिए बच्चे ही सबसे सशक्त माध्यम:-
...

अमेरिका में हिंदी सर्वाधिक बोले जाने वाली भारतीय भाषा - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

अमेरिका जनगणना ब्यूरो ने अमरीका में बोली जाने वाली सभी भाषाओं के आंकड़े जारी किए हैं।
...

सेठ सेठानी की कथा - भारत-दर्शन संकलन

अहोई अष्टमी कथा-2

बहुत समय पहले झाँसी के निकट एक नगर में चन्द्रभान नामक साहूकार रहता था। उसकी पत्नी चन्द्रिका बहुत सुंदर, सर्वगुण सम्पन्न, सती साध्वी, शिलवन्त चरित्रवान तथा बुद्धिमान थी। उसके कई पुत्र-पुत्रियां थी परंतु वे सभी बाल अवस्था में ही परलोक सिधार चुके थे। दोनो पति-पत्नी संतान न रह जाने से व्यथित रहते थे। वे दोनों प्रतिदिन मन में सोचते कि हमारे मर जाने के बाद इस अपार धन-संपदा को कौन संभालेगा! एकबार उन दोनों ने निश्चय किया कि वनवास लेकर शेष जीवन प्रभु-भक्ति में व्यतीत करें। इस प्रकार वे दोनों अपना घर-बार त्यागकर वनों की ओर चल दिए। रास्ते में जब थक जाते तो रुक कर थोड़ा विश्राम कर लेते और फिर चल पड़ते। इस प्रकार धीरे-धीरे वे बद्रिका आश्रम के निकट शीतल कुण्ड जा पहुंचे। वहां पहुंचकर दोनों ने निराहार रह कर प्राण त्यागने का निश्चय कर लिया। इस प्रकार निराहार व निर्जल रहते हुए उन्हें सात दिन हो गए तो आकाशवाणी हुई कि तुम दोनों प्राणी अपने प्राण मत त्यागो। यह सब दुख तुम्हें तुम्हारे पूर्व पापों के कारण भोगना पड़ा है। यदि तुम्हारी पत्नी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली अहोई अष्टमी को अहोई माता का व्रत और पूजन करे तो अहोई देवी प्रसन्न होकर साक्षात दर्शन देगी। तुम उससे दीर्घायु पुत्रों का वरदान मांग लेना। व्रत के दिन तुम राधाकुण्ड में स्नान करना।
...

अहोई माता की आरती  - भारत-दर्शन संकलन

अहोई माता की आरती

जय अहोई माता, जय अहोई माता!
तुमको निसदिन ध्यावत हर विष्णु विधाता। टेक।।
ब्राहमणी, रुद्राणी, कमला तू ही है जगमाता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता।। जय।।
माता रूप निरंजन सुख-सम्पत्ति दाता।।
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल पाता।। जय।।
तू ही पाताल बसंती, तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता।। जय।।
जिस घर थारो वासा वाहि में गुण आता।।
कर न सके सोई कर ले मन नहीं धड़काता।। जय।।
तुम बिन सुख न होवे न कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता।। जय।।
शुभ गुण सुंदर युक्ता क्षीर निधि जाता।
रतन चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।। जय।।
श्री अहोई माँ की आरती जो कोई गाता।
उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता।। जय।।
...

ऐसे रोकें, शादी की फिजूलखर्ची - डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Dr Ved Pratap Vaidik

भारतीय समाज में तीन बड़े खर्चे माने जाते हैं। जनम, मरण और परण! कोई कितना ही गरीब हो, उसके दिल में हसरत रहती है कि यदि उसके यहां किसी बच्चे ने जन्म लिया हो या किसी की शादी हो या किसी बुज़ुर्ग की मृत्यु हुई हो तो वह अपने सगे-संबंधियों और मित्रों को इकट्ठा करे और उन्हें कम से कम भोजन तो करवाए। इस इच्छा को गलत कैसे कहा जाए? यह तो स्वाभाविक मानवीय इच्छा है। लेकिन यह इच्छा अक्सर बेकाबू हो जाती है। लोग अपनी चादर के बाहर पाँव पसारने लगते हैं।
...

जगन्नाथ पांचवीं बार प्रधानमंत्री - डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Dr Ved Pratap Vaidik

कल रात मोरिशस के प्रधानमंत्री श्री अनिरुद्ध जगन्नाथ के साथ लगभग दो घंटे बात हुई। भोजन करते समय हम दोनों साथ-साथ बैठे थे। उनके साथ मोरिशस और भारत में पहले भी अनिरुद्ध जगन्नाथ पांचवी बार मारिशस के प्रधानमंत्री बनेकई बार भोजन और संवाद हुआ लेकिन इस बार जितनी खुली और अनौपचारिक बात हुई, शायद पहले कभी नहीं हुई। सर शिवसागर रामगुलाम के बाद, जो कि पहले प्रधानमंत्री थे, मोरिशस में प्रधानमंत्री का पद सिर्फ तीन लोगों के इर्द-गिर्द घूमता रहा है। पहले जगन्नाथजी, दूसरे नवीन रामगुलाम और तीसरे पाॅल बेरांजे। यह संयोग है कि इन तीनों नेताओं से मेरे काफी अच्छे संबंध रहे। पिछले 30-35 वर्षों में हम लोग एक-दूसरे के घर भी आते-जाते रहे लेकिन जब हम भारत-मोरिशस संबंधों की बात करते हैं तो सर शिवसागर रामगुलाम के बाद जो नाम सबसे ज्यादा उभरता है, वह अनिरुद्ध जगन्नाथ का ही है। वे अपना नाम रोमन में फ्रांसीसी शैली में लिखते हैं, जिसका उच्चारण होता है-‘एनीरुड जुगनेट' लेकिन मैं उन्हें उनके शुद्ध हिंदी नाम से ही बुलाता हूं। वे पांचवीं बार मोरिशस के प्रधानमंत्री बने हैं। दुनिया की राजनीति मैं जितनी भी जानता हूं, आज तक मैंने किसी भी ऐसे नेता का नाम नहीं सुना जो अपने देश का पांच बार प्रधानमंत्री चुना गया हो। जगन्नाथजी तो दो बार राष्ट्रपति भी चुने गए। उनकी पत्नी लेडी सरोजनी भी बहुत उदार और सुसंस्कृत महिला हैं। मोरिशस में ही स्वनामधन्य स्व. स्वामी कृष्णानंदजी ने ही इन दोनों से मेरा पहला परिचय करवाया था। जगन्नाथजी के पुत्र भी आजकल सांसद हैं। जगन्नाथजी पिछले 50 साल से भी ज्यादा से मोरिशस की राजनीति में सक्रिय हैं। 86 साल की उम्र में भी उनका उत्साह देखने लायक है। उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों के बारे में मुझे बहुत विस्तार से बताया लेकिन अब उनकी भाषा में वह तेजाब नहीं दिखाई दिया, जो 30 साल पहले हुआ करता था। वे भारत-मोरिशस संबंधों में चीन या पाकिस्तान को कोई खास बाधा नहीं मानते। हालांकि उनके बढ़ते असर को वे स्वीकार करते हैं। उन्होंने मोरिशस से भारत आनेवाले अरबों रु. के ‘काले धन' की खबरों को निराधार बताया और दुतरफा कराधान समझौते के महत्व को रेखांकित किया। अफ्रीका में फैल रहे आतंकवाद पर जब मैंने चिंता जाहिर की तो उन्होंने कहा मोरिशस में हम काफी सावधान हैं। चिंता की कोई बात नहीं है।
...

अपने जीवन को 'आध्यात्मिक प्रकाश' से प्रकाशित करने का पर्व है दीपावली! - डा. जगदीश गांधी

दीपावली ‘अंधरे' से ‘प्रकाश' की ओर जाने का पर्व है:
...

दीया घर में ही नहीं, घट में भी जले - ललित गर्ग - भारत-दर्शन संकलन | Collections

दीपावली का पर्व ज्योति का पर्व है। दीपावली का पर्व पुरुषार्थ का पर्व है। यह आत्म साक्षात्कार का पर्व है। यह अपने भीतर सुषुप्त चेतना को जगाने का अनुपम पर्व है। यह हमारे आभामंडल को विशुद्ध और पर्यावरण की स्वच्छता के प्रति जागरूकता का संदेश देने का पर्व है। प्रत्येक व्यक्ति के अंदर एक अखंड ज्योति जल रही है। उसकी लौ कभी-कभार मद्धिम जरूर हो जाती है, लेकिन बुझती नहीं है। उसका प्रकाश शाश्वत प्रकाश है। वह स्वयं में बहुत अधिक देदीप्यमान एवं प्रभामय है। इसी संदर्भ में महात्मा कबीरदासजी ने कहा था-'बाहर से तो कुछ न दीसे, भीतर जल रही जोत'।
...

धनतेरस | पौराणिक लेख - भारत-दर्शन संकलन | Collections

कार्तिक मास में त्रयोदशी का विशेष महत्व है, विशेषत: व्यापारियों और चिकित्सा एवं औषधि विज्ञान के लिए यह दिन अति शुभ माना जाता है।
...

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश