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हास्य काव्य
भारतीय काव्य में रसों की संख्या नौ ही मानी गई है जिनमें से हास्य रस (Hasya Ras) प्रमुख रस है जैसे जिह्वा के आस्वाद के छह रस प्रसिद्ध हैं उसी प्रकार हृदय के आस्वाद के नौ रस प्रसिद्ध हैं - श्रृंगार रस (रति भाव), हास्य रस (हास), करुण रस (शोक), रौद्र रस (क्रोध), वीर रस (उत्साह), भयानक रस (भय), वीभत्स रस (घृणा, जुगुप्सा), अद्भुत रस (आश्चर्य), शांत रस (निर्वेद)।Article Under This Catagory
पैरोडी - कवि चोंच |
[रसखान के एक छंद की ‘पैरोडी' ] |
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गज़ब यह सूवा शहर मेरी रानी - कमला प्रसाद मिश्र | फीजी | Kamla Prasad Mishra |
गली-गली में घूमे नसेड़ी दुनिया यहाँ मस्तानी |
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ढोल, गंवार... - सुरेंद्र शर्मा |
मैंने अपनी पत्नी से कहा -- |
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मुझको सरकार बनाने दो - अल्हड़ बीकानेरी |
जो बुढ्ढे खूसट नेता हैं, उनको खड्डे में जाने दो |
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