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Archive of जुलाई-अगस्त 2023 Issue

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सदैव की भांति इस अंक में भी 'कथा-कहानी' के अंतर्गत कहानियाँ, लघु-कथाएं व बाल कथाएं प्रकाशित की गई हैं। इस अंक के काव्य में सम्मिलित है - कविताएं, दोहे, बाल-कविताएं, हास्य कविताएं व गज़ल।
सितंबर-अक्टूबर अंक आपको भेंट।
इस अंक की कहानियों में मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'यही मेरा वतन', चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की 'डाक्टर आरोग्यम्', 'सुदर्शन की कहानी, 'अपनी कमाई', मोहन राकेश की 'जीनियस', और सुशांत सुप्रिय की कहानी 'इंडियन काफ़्का' सम्मिलित की गई हैं।
लघुकथाओं में इस बार हरिशंकर परसाई की लघुकथा, 'अपना पराया', फ्रेंज काफ़्का की लघुकथा का भावानुवाद, 'समाधान', सतीशराज पुष्करणा की लघुकथा, 'विश्वास', रेखा शाह आरबी की लघुकथा, 'निकम्मी औलाद' और दिलीप कुमार की लघुकथा, 'दास्तान-ए-भूख' प्रकाशित की हैं।
लोक-कथाओं में ऑस्ट्रेलिया की लोक-कथा 'कंगारू के पेट की थैली' और हिमाचल की लोक-कथा 'बन्नो देवी' पढ़ें।
लोक-कथाओं में ऑस्ट्रेलिया की लोक-कथा 'कंगारू के पेट की थैली' और हिमाचल की लोक कथा बन्नो देवी पढ़ें।
रोचक सामग्री के अंतर्गत 'जल बरसाने वाले वृक्ष' व अन्य पठनीय सामग्री सम्मिलित की है।
साक्षात्कार में इस बार डॉ रुचि चतुर्वेदी से डॉ विष्णु सक्सेना की बातचीत के अंश।
इस बार दोहों में श्याम लाल शर्मा के दोहे पढ़िए।
कविताओं में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, नज़ीर अकबराबादी, मोहनलाल महतो वियोगी, ओमप्रकाश वाल्मीकि, गोरख पांडेय, दिव्या माथुर, इन्द्र बहादुर खरे, नरेन्द्र कुमार, डॉ अनुराग कुमार मिश्र, सोनाली सिंह व डॉ हर्षा त्रिवेदी की कविताएं पढ़िए।
हास्य रस में प्रदीप चौबे की रचना, 'क्या कीजे' और अल्हड़ बीकानेरी की हास्य कविता 'पूत-कपूत' पढ़ें।
ग़ज़लों में त्रिलोचन, निदा फ़ाज़ली, विजय कुमार सिंघल और मनीष कुमार मिश्रा की ग़ज़लें पढ़ें।
इस बार गीतों में रांगेय राघव. हफीज़ जालंधरी और भारत भूषण के गीत पढ़िए । बाल साहित्य में बच्चों की कविताएं, पंचतंत्र की कहानी व 'नदी क्यों रोती है' प्रकाशित की गई हैं।
बाल साहित्य में बच्चों की कविताएं, पंचतंत्र की कहानी व 'नदी क्यों रोती है' प्रकाशित की गई हैं।
व्यंग्य में इस बार हरिशंकर परसाई का व्यंग्य, 'अफसर कवि' और शरद जोशी का व्यंग्य, 'नेतृत्व की ताक़त' पढ़ें।
आलेखों में प्रेमचंद का आलेख 'कहानी कला' और गजानन माधव मुक्तिबोध का आलेख, 'जनता का साहित्य किसे कहते हैं' प्रकाशित किए हैं। इसके अतिरिक्त डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड का आलेख, 'रामायण में निहित वित्तीय साक्षरता के कुछ संदेश' पढ़ें।
भारत-दर्शन का सम्पूर्ण अंक पढ़ें।
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