शिक्षा के प्रसार के लिए नागरी लिपि का सर्वत्र प्रचार आवश्यक है। - शिवप्रसाद सितारेहिंद।

कर्तव्यबोध

 (कथा-कहानी) 
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रचनाकार:

 शरद जोशी | Sharad Joshi

दोपहर के ढाई बज रहे थे।

अभिमन्यु ने धीरे से घर का दरवाजा खटखटाया। उत्तरा ने दरवाजा खोला।

"हाय तुम इस वक्त कैसे? तुम्हें तो अभी चक्रव्यूह में फंसा होना चाहिए था।" उत्तरा ने उसे देख आश्चर्य से कहा।

"अभिमन्यु ने ऑंख मारी और धीरे से कहा, "थोड़ी मार कर आया हूँ ।"

- शरद जोशी

 

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