उर्दू जबान ब्रजभाषा से निकली है। - मुहम्मद हुसैन 'आजाद'।

आज कैसी वीर, होली? (काव्य)

Print this

Author: क्षेमचन्द्र 'सुमन'

है उषा की पुणय-वेला
वीर-जीवन एक मेला
चल पड़ी है वीर युवकों, की नवल यह आज टोली?
आज कैसी वीर, होली?

मातृ-बन्धन काटने को
ध्येय पावन छाँटने को
बाँटने को शत्रु-संगर में, अनोखी लाल रोली !
आज कैसी वीर होली?

जा रहे हैं क्यों सुभट ये
और भोले निष्कपट से
आज करने प्रियतमा से, जेल में निज प्रेम-होली!
आज कैसी वीर होली?

- क्षेमचन्द्र 'सुमन', १६ मई' ४३

[ साभार: बन्दी के गान ]

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश