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Articles Under this Category |
हिंदी साहित्य में स्त्री आत्मकथा लेखन विधा का विकास - भारत-दर्शन संकलन |
हिंदी में अन्य गद्य विधाओं की भाँति आत्मकथा विधा का आगमन भी पश्चिम से हुआ। बाद में यह हिंदी साहित्य में प्रमुख विधा बन गई। नामवर सिंह ने अपने एक व्याख्यान में कहा था कि ‘अपना लेने पर कोई चीज परायी नहीं रह जाती, बल्कि अपनी हो जाती है।' हिंदी आत्मकथाकारों ने भी इस विधा को आत्मसात कर लिया और आत्मकथा हिंदी की एक विधा के रूप में विकसित हुई। |
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गांधीजी को महात्मा की उपाधि किसने दी? - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
गांधीजी को भारत ही नहीं पूरा विश्व ‘महात्मा गांधी' कहता है। पिछले कई वर्षों में यह प्रश्न बार-बार पूछा गया है कि गांधी जी को ‘महात्मा' की उपाधि किसने दी। उन्हें महात्मा की उपाधि ‘किसने, कब और कहाँ दी' इस विषय में कई लोगों ने सूचना के अधिकार (RTI) के अंतर्गत भी यह प्रश्न उठाया। |
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स्वामी रामदेव - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
स्वामी रामदेव से भारत-दर्शन के संपादक रोहित कुमार 'हैप्पी' से हुई बातचीत के मुख्य अंशः |
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जानिए, भारत के पहले एम्स की स्थापना कैसे हुई - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
क्या आप जानते है कि दिल्ली का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स /AIIMS) कैसे बना था? इसकी स्थापना में न्यूज़ीलैंड की विशेष भूमिका थी। |
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डॉ मदनलाल ‘मधु' जी से बातचीत - सुनीता पाहुजा |
डॉ मदनलाल ‘मधु' जी से सुनीता पाहुजा की बातचीत। |
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ऑनलाइन शिक्षण : कोरोना संकट में आशा की एक किरण - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
अर्थव्यवस्था और सामाजिक जीवन के अतिरिक्त कोरोना वायरस से शिक्षा व्यवस्था सर्वाधिक प्रभावित हुई है। प्राथमिक पाठशाला से लेकर उच्च स्तरीय शैक्षणिक संस्थानों में और पठन-पाठन का भविष्य अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है। जब से कोरोना की महामारी ने विश्व को अपनी चपेट में लिया है, विश्वव्यापी तालाबंदी का एक नया दौर चल रहा है। हमारा संपूर्ण सामाजिक ढांचा कोविड-19 (कोरोना) से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। |
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नारदजी को व्यासजी का नमस्कार! - गोपालप्रसाद व्यास | Gopal Prasad Vyas |
वंदनीय, भक्तप्रवर, देवर्षि एवं आदिपत्रकार नारदजी महाराज, मेरे हार्दिक प्रणाम स्वीकार करें ! |
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अनमोल वचन | रवीन्द्रनाथ ठाकुर - रबीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore |
- रवीन्द्रनाथ ठाकुर |
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भावनात्मक बुद्धिमत्ता (ईआई) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) - अभिनंदन जैन |
स्वचलीकरण (Automation ) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) व्यापार व समाज के लिए नए अवसर के साथ-साथ अधिक निपुणता प्रदान कर रहे हैं। यह कर्मचारी और संगठन दोनों की अद्वितीय मानव संज्ञानात्मक क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं क्योंकि मशीनें मानव की मालिक नहीं हो सकती हैं। भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) एक ऐसा क्षेत्र है जिसको AI और मशीनों द्वारा अनुकरण करना कठिन लगता है । इसी कारण से यह आज के युग में एक आवश्यक कौशल बन गया है। AI हर जगह है और हमारे कार्य और घरेलू जीवन दोनों जगहों पर अत्यधिक प्रचलित हो रहा है। |
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टैगोर - कवि, गीतकार, दार्शनिक, कलाकार और शिक्षा विशारद - तड़ित मुखर्जी |
'प्रसन्न रहना तो बहुत सहज है, परन्तु सहज रहना बहुत कठिन' ‑ रवीन्द्रनाथ टैगोर |
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