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डॉ रुचि चतुर्वेदी से डॉ विष्णु सक्सेना की बातचीत - डॉ विष्णु सक्सेना |
हिन्दी कविता का मंच हो और उस पर गणित की एक व्याख्याता खड़ी होकर अपने काव्य पाठ से लोगों को मंत्रमुग्ध कर रही है तो आश्चर्य होता है। इस मंच की खूबसूरती तब और बढ़ जाती है जब वह भारतीय परिधान (साड़ी) में पूरे संस्कार के साथ काव्य पाठ कर रही होती हैं। श्रोताओं की भीड़ और रह रहकर तालियों की गूंज बताती है कि उस कवियित्री के कितने प्रशंसक हैं। गणित की व्याख्याता से काव्य सुनते हैं तो प्रेम के कवि डॉक्टर विष्णु सक्सेना जी की एक कविता याद आती है, जिसमें वे गणित का जिक्र करते हुए कहते हैं... एक हैं अंक हम, एक हो अंक तुम / आओ दोनों को यूं जोड़ दें। सौभाग्य से ऐसा ही हुआ। मेरी निहारिका के लिए कवियित्री डॉ. रुचि चतुर्वेदी से बातचीत की प्रेम के कवि डॉक्टर विष्णु सक्सेना ने। डॉक्टर सक्सेना "मेरी निहारिका" के संरक्षक भी हैं। हम पाठकों के लिए यहां प्रस्तुत कर रहे हैं, दो सितारों की आपस में हुई बातचीत के प्रमुख अंश: |
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चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' के बारे में क्या आप जानते हैं? - रोहित कुमार 'हैप्पी' |
7 जुलाई को हिंदी साहित्य को 'उसने कहा था' जैसी कालजयी कहानी देने वाले पं. श्रीचंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' की जयंती है। गुलेरी की केवल तीन कहानियाँ ही प्रसिद्ध है जिनमें 'उसने कहा था' के अतिरिक्त 'सुखमय जीवन' व 'बुद्धू का कांटा' सम्मिलित हैं। गुलेरी के निबंध भी प्रसिद्ध हैं लेकिन गुलेरी ने कई लघु-कथाएं और कविताएं भी लिखी हैं जिससे अधिकतर पाठक अनभिज्ञ हैं। पिछले कुछ दशकों में गुलेरी का अधिकतर साहित्य प्रकाश में आ चुका है लेकिन यह कहना गलत न होगा कि अभी भी उनकी बहुत सी रचनाएं अप्राप्य हैं। यहाँ गुलेरी जी के पौत्र डॉ विद्याधर गुलेरी, गुलेरी के एक अन्य संबंधी डॉ पीयूष गुलेरी व डॉ मनोहरलाल के शोध व अथक प्रयासों से शेष अधिकांश गुलेरी-साहित्य हमारे सामने है। |
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कहानी कला - 2 | आलेख - मुंशी प्रेमचंद | Munshi Premchand |
एक आलोचक ने लिखा है कि इतिहास में सब कुछ यथार्थ होते हुए भी वह असत्य है, और कथा-साहित्य में सब कुछ काल्पनिक होते हुए भी वह सत्य है। |
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रोचक प्रश्नोत्तरी - सुदेश शर्मा |
सबसे पुरानी वस्तु क्या है? |
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रामायण में निहित वित्तीय साक्षरता के कुछ संदेश | आलेख - डॉ पुष्पा भारद्वाज-वुड | न्यूज़ीलैंड |
वित्तीय साक्षरता एक ऐसा विषय है जो लोगों में अलग-अलग तरह की भावनाएं जगा देता है और फिर शुरू हो जाती है या तो खर्चो का स्पष्टीकरण या पैसों की कमी का दुःख। पिछले दो दशकों से इसी क्षेत्र में काम करते-करते मैंने बहुत कुछ देखा और सुना है। कुछ उसके आधार पर और कुछ अपने धार्मिक ग्रंथों को खोजने पर सोचा कि क्यों ना हमारे धार्मिक ग्रंथों में छुपे ज्ञान को वित्तीय साक्षरता के साथ जोड़ा जाए। यह लेख उसी प्रयास की एक झलक है। |
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जल बरसाने वाले वृक्ष - कुमार मनीश |
कैनरी टापू (Canery Island) पर अधिकतर वर्षा नहीं होती। यहाँ नदी नाले या झरने नहीं पाए जाते। वहां एक प्रकार के जल वृक्ष पाए जाते हैं जिनसे प्रतिदिन रात के समय वर्षा होती है। कैनरी टापू के निवासी इस जल का प्रयोग दैनिक उपयोग के लिए भी करते हैं। |
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21वाँ अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन भूटान में संपन्न - भारत-दर्शन समाचार |
28 जून 2023 (रायपुर, भारत) : 4 जून से 12 जून तक 21वें अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन भूटान में सम्पन्न हुआ। उल्लेखनीय है कि यह आयोजन बिना किसी सरकार के सहयोग के आयोजित किया जाता है। विश्व भर में सृजनरत हिंदी औऱ भारतीय भाषाओं के सक्रिय और प्रवासी रचनाकारों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए इससे पूर्व रायपुर, बैंकाक, मारीशस, पटाया, ताशकंद, संयुक्त अरब अमीरात, दुबई, कंबोडिया, वियतनाम, चीन, नेपाल, इडोनेशिया (बाली), गुवाहाटी (असम), राजस्थान, रूस, ग्रीस, म्यांमार में 20 अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलनों का आयोजन संपन्न हो चुका है । |
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15 अगस्त - स्वतंत्रता दिवस - राष्ट्रीय पोर्टल |
"रात 12 बजे जब दुनिया सो रही होगी तब भारत जीवन और स्वतंत्रता पाने के लिए जागेगा। एक ऐसा क्षण जो इतिहास में दुर्लभ है, जब हम पुराने युग से नए युग की ओर कदम बढ़ाएंगे... भारत दोबारा अपनी पहचान बनाएगा।" - पंडित जवाहरलाल नेहरू |
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अफसर कवि | व्यंग्य - हरिशंकर परसाई | Harishankar Parsai |
एक कवि थे। वे राज्य सरकार के अफसर भी थे। अफसर जब छुट्टी पर चला जाता, तब वे कवि हो जाते और जब कवि छुट्टी पर चला जाता, तब वे अफसर हो जाते। |
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नेतृत्व की ताक़त | व्यंग्य - शरद जोशी | Sharad Joshi |
नेता 'शब्द दो अक्षरों से बना है। 'ने' और 'ता'। इनमें एक भी अक्षर कम हो, तो कोई नेता नहीं बन सकता। मगर हमारे शहर के एक नेता के साथ अजीब ट्रेजेडी हुई। वह बड़ी भागदौड़ में रहते थे। दिन गेस्टहाउस में गुज़ारते, रातें डाक बंगलों में। लंच अफ़सरों के साथ लेते, डिनर सेठों के साथ! इस बीच जो वक़्त मिलता, उसमें भाषण देते। कार्यकर्ताओं को संबोधित करते। कभी-कभी खुद सम्बोधित हो जाते। मतलब यह कि बड़े व्यस्त। 'ने' और 'ता' दो अक्षरों से तो मिलकर बने थे। एक दिन यह हुआ कि उनका 'ता' खो गया। सिर्फ़ 'ने' रह गया। |
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जनता का साहित्य किसे कहते हैं ? - गजानन माधव मुक्तिबोध | Gajanan Madhav Muktibodh |
ज़िन्दगी के दौरान में जो तजुर्बे हासिल होते हैं, उनसे नसीहतें लेने का सबक़ तो हमारे यहाँ सैकड़ों बार पढ़ाया गया है। होशियार और बेवक़ूफ़ में फ़र्क़ बताते हुए, एक बहुत बड़े विचारक ने यह कहा, "ग़लतियाँ सब करते हैं, लेकिन होशियार वह है जो कम-से-कम ग़लतियाँ करे और ग़लती कहाँ हुई यह जान ले और यह साव- धानी वरते कि कहीं वैसी ग़लती तो फिर नहीं हो रही है।" जो आदमी अपनी ग़लतियों से पक्षपात करता है उसका दिमाग़ साफ़ नहीं रह सकता। |
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राखी - भारत-दर्शन संकलन |
रक्षा बंधन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। उत्तरी भारत में यह त्यौहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है और इस त्यौहार का प्रचलन सदियों पुराना बताया गया है। इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा का संकल्प लेते हुए अपना स्नेहाभाव दर्शाते हैं। रक्षा बंधन का उल्लेख हमारी पौराणिक कथाओं व महाभारत में मिलता है और इसके अतिरिक्त इसकी ऐतिहासिक व साहित्यिक महत्ता भी उल्लेखनीय है। आइए, रक्षा-बंधन के सभी पक्षों पर विचार करें। रक्षा बंधन - वामनावतार कथा रक्षा बंधन - भविष्य पुराण की कथा महाभारत संबंधी कथा ऐतिहासिक प्रसंग चंद्रशेखर आज़ाद का प्रसंग साहित्यिक संदर्भ फिल्मों में रक्षा-बंधन ... |
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