हिंदी भाषा अपनी अनेक धाराओं के साथ प्रशस्त क्षेत्र में प्रखर गति से प्रकाशित हो रही है। - छविनाथ पांडेय।
व्यंग्य
हिंदी व्यंग्य. Hindi Satire.

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अफसर कवि | व्यंग्य - हरिशंकर परसाई | Harishankar Parsai

एक कवि थे। वे राज्य सरकार के अफसर भी थे। अफसर जब छुट्‌टी पर चला जाता, तब वे कवि हो जाते और जब कवि छुट्‌टी पर चला जाता, तब वे अफसर हो जाते।
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नेतृत्व की ताक़त | व्यंग्य - शरद जोशी | Sharad Joshi

नेता 'शब्द दो अक्षरों से बना है। 'ने' और 'ता'। इनमें एक भी अक्षर कम हो, तो कोई नेता नहीं बन सकता। मगर हमारे शहर के एक नेता के साथ अजीब ट्रेजेडी हुई। वह बड़ी भागदौड़ में रहते थे। दिन गेस्टहाउस में गुज़ारते, रातें डाक बंगलों में। लंच अफ़सरों के साथ लेते, डिनर सेठों के साथ! इस बीच जो वक़्त मिलता, उसमें भाषण देते। कार्यकर्ताओं को संबोधित करते। कभी-कभी खुद सम्बोधित हो जाते। मतलब यह कि बड़े व्यस्त। 'ने' और 'ता' दो अक्षरों से तो मिलकर बने थे। एक दिन यह हुआ कि उनका 'ता' खो गया। सिर्फ़ 'ने' रह गया।
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