साहित्य की उन्नति के लिए सभाओं और पुस्तकालयों की अत्यंत आवश्यकता है। - महामहो. पं. सकलनारायण शर्मा।
शमशाद बेगम | 14 अप्रैल
 
 

शमशाद बेगम ने अपने गायन की शुरुआत रेडियो से की। उनकी पहली हिंदी फ़िल्म ‘खजांची’ थी। फ़िल्म के सारे 9 गाने शमशाद ने गाए। उन्होंने 16 दिसंबर, 1947 को पेशावर रेडियो के लिए गाना गया। उनके इस गाने से ओ.पी. नैय्यर काफ़ी प्रभावित हुए और उन्हें अपनी फ़िल्म में गाने का मौका दिया। 50, 60 और 70 के दशक में शमशाद संगीतकारों की पसंदीदा हुआ करती थीं।

नए जमाने में शमशाद बेगम के जितने गानों को रिमिक्स किया गया शायद ही किसी और गायक के गानों को किया गया हो। ख़ास बात ये रही कि शमशाद का ओरिजनल गाना जितना मशहूर हुआ उतने ही हिट उनके रिमिक्स भी हुए। उनके ‘सैंया दिल में आना रे’, ‘कजरा मोहब्बत वाला’, ‘कभी आर कभी पार’ जैसे गानों के रिमिक्स काफ़ी लोकप्रिय हुए। ‘कजरा मोहब्बत वाला’ के रिमिक्स को तो सोनू निगम ने आवाज़ भी दी। शमशाद बेगम को इन रिमिक्स पर कोई एतराज नहीं रहा। वो इन्हें वक्त की मांग मानती थीं।

उनकी आवाज़ का जादू है ही ऐसा। यही नहीं शमशाद के गाने रिंगटोन्स के रुप में भी हिट रहे हैं। नब्बे के दशक में उनके गाने सबसे ज्यादा डाउनलोड की गई रिंगटोन्स में शामिल थे।

हीरो के लिए दी आवाज़ 
1968 में आई फ़िल्म ‘किस्मत’ में शमशाद बेगम ने हिरोइन बबीता नहीं बल्कि हीरो विश्वजीत के लिए आवाज़ दी थी। फ़िल्म में विश्वजीत पर फ़िल्माए कुछ गानों में वो लड़की के भेष में थे जिसके लिए आवाज़ शमशाद की इस्तेमाल की गई।

पश्चिमी धुन आधारित पहला गाना 
शमशाद ने अपनी आवाज़ की विविधता को साबित करते हुए पश्चिमी धुन पर आधारित गाने भी गाए। उन्होंने सी. रामचंद्र द्वारा कंपोज किया हुआ गाना ‘आना मेरी जान संडे के संडे’ गाकर धूम मचा दी। यह उनका पहला पश्चिमी धुन पर आधारित गाना था।

कैमरे से परहेज
कैमरे के सामने आना पसंद नहीं था। कुछ लोगों का मानना है कि शमशाद खुद को ख़ूबसूरत नहीं मानती थीं इसलिए वो फोटो नहीं खिंचवाती थीं। वहीं कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने अपने पिता से कभी कैमरे के सामने न आने का वादा किया था। यही वजह है कि शमशाद बेगम की बहुत कम तस्वीरें उपलब्ध हैं।

के. एल. सहगल की दीवानी, 14 बार देखी देवदास 
शमशाद बेगम के. एल. सहगल की बहुत बड़ी फैन थीं। उन्होंने सहगल की फ़िल्म देवदास 14 बार देखी थी। यही नहीं वो उनकी गायकी से भी काफ़ी प्रभावित थीं।

पुरस्कार व सम्मान
'प्रेस्टिजियस ओ.पी. नैयर अवार्ड' - 2009
'पद्म भूषण - 2009

निधन
भारतीय सिनेमा में अपनी सुरीली आवाज़ से लोगों का दिल जीत लेने वाली मशहूर पार्श्वगायिका शमशाद बेगम का निधन 23 अप्रैल, 2013 को मुम्बई में हो गया।

प्रमुख गीत
'लेके पहला पहला प्यार' (सी.आई.डी)
'कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना' (सी.आई.डी)
'बूझ मेरा क्या नाम रे, नदी किनारे गाँव रे' (सी.आई.डी)
'मोहन की मुरलिया बाजे' (मेला) 
'छोड़ बाबुल का घर' (मदर इंडिया)
'होली आई रे कन्हाई' (मदर इंडिया)
'ओ गाड़ी वाले गाड़ी धीरे हाँक रे' (मदर इंडिया)
'तेरी महफ़िल में क़िस्मत आज़मा कर हम भी देखेंगे' (मुग़ल-ए-आज़म)
'मेरे पिया गए रंगून' (पतंगा)
'कभी आर कभी पार' (आर पार)
'मिलते ही आंखें दिल हुआ दीवाना किसी का' (बाबुल)
'बचपन के दिन भुला न देना' (दीदार)
'दूर कोई गाए' (बैजू बावरा)
'सैया दिल में आना रे' (बहार)
'कजरा मुहब्बत वाला' (क़िस्मत)

 
 

Comment using facebook

 
 
Post Comment
 
Name:
Email:
Content:
 
 
  Type a word in English and press SPACE to transliterate.
Press CTRL+G to switch between English and the Hindi language.

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश