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लघुकथाएं |
लघु-कथा, *गागर में सागर* भर देने वाली विधा है। लघुकथा एक साथ लघु भी है, और कथा भी। यह न लघुता को छोड़ सकती है, न कथा को ही। संकलित लघुकथाएं पढ़िए -हिंदी लघुकथाएँ व प्रेमचंद की लघु-कथाएं भी पढ़ें। |
Articles Under this Category |
वेश - खलील जिब्रान |
एक दिन समुद्र के किनारे सौन्दर्य की देवी की भेंट कुरूपता की देवी से हुई। एक ने दूसरी से कहा, ‘‘आओ, समुद्र में स्नान करें।'' |
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ऊबड़खाबड़ रास्ता | लघुकथा - बैकुंठनाथ मेहरोत्रा |
ऊबड़खाबड़ रास्ता। उस पर एक इंसान बढ़ता चला जा रहा था। |
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समाधान | लघुकथा - अज्ञात |
एक बूढा व्यक्ति था। उसकी दो बेटियां थीं। उनमें से एक का विवाह एक कुम्हार से हुआ और दूसरी का एक किसान के साथ। |
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बछडू - मृणाल आशुतोष |
"क्या हुआ? कल से देख रहा हूँ, बार-बार छत पर जाती हो।" विमल अनिता से पूछ बैठे। |
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टंगटुट्टा - मृणाल आशुतोष |
घर का माहौल थोड़ा असामान्य सा हो चला था। परसों ही राजेन्द्र ने किसी दुखियारी से शादी करने की बात घर पर छेड़ दी थी। छोटे भाइयों को तो आश्चर्य हुआ, पर बहुओं की आवाज़ कुछ ज्यादा ही तेज़ हो गई। बेचारी बूढ़ी माँ समझाने की कोशिश कर थककर हार मान चुकी थी। |
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अर्जुन या एकलव्य - रोहित कुमार हैप्पी |
'अर्जुन और एकलव्य' की कहानी सुनाकर मास्टर जी ने बच्चों से पूछा, "तुम अर्जुन बनोगे या एकलव्य?" |
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क्रमशः प्रगति - शरद जोशी | Sharad Joshi |
खरगोश का एक जोड़ा था, जिनके पाँच बच्चे थे। |
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