कितनी जिद्दी हो तुम मक्खी अभी उड़ाती फिर आ जाती! हां मैं भी करती हूं लेकिन मां मनाती झट मन जाती।
मां तेरी समझाती होगी जॆसे मां मेरी समझाती । जो बच्चे होते हॆं जिद्दी उनको अक्ल कभी ना आती।
अगर स्कूल तुम जाती होती तुम भी समझदार बन जाती। अच्छी-अच्छी बातें कितनी टीचर जी तुमको समझाती!
-दिविक रमेश
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