Warning: session_start(): open(/tmp/sess_7c1d09cd011605c1259095b3f91dade9, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/article_details.php on line 2

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/article_details.php on line 2
 वृक्ष की चेतावनी | पर्यावरण पर कविता
भारत की सारी प्रांतीय भाषाओं का दर्जा समान है। - रविशंकर शुक्ल।

वृक्ष की चेतावनी (काव्य)

Print this

Author: अंशु शुक्ला

ओ मानव! तू सोच जरा,
क्यों मुझे काटने आया है?
मैंने तेरे लिए सदा
धरती को स्वर्ग बनाया है ।।

तेरी औ' तेरे लोगों की,
किस पापी ने मति मारी है ?
निर्मम होकर वृक्ष काटने,
का क्रम अब तक जारी है ।

वृक्ष अगर यूँ कटते जायें,
धरती बन्जर हो जायेगी ।
कैसे भूख मिटाएगा तू
दुनिया. फिर क्या खायेगी?
तेरा जीवन इस धरती पर,
एक बोझ बन जायेगा ।
अभी समय है, अभी सम्भल जा,
वरना फिर पछतायेगा ।।

- अंशु शुक्ला [पर्यावरण, दिसंबर १९९४]

 

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश