Warning: session_start(): open(/tmp/sess_2cca24e4790cb98604ac1a87f0d04e95, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/article_details.php on line 2

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/article_details.php on line 2
 नदियों के गंदे पानी को | Ghazal by Dr Bhavna
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।

नदियों के गंदे पानी को | ग़ज़ल (काव्य)

Print this

Author: डा भावना

नदियों के गंदे पानी को घर में निथार कर
चूल्हा जला रही है वो पत्ते बुहार कर

फुटपाथ के वासिंदे की तकदीर है यही
ताउम्र जीना है उसे आंचल पसार कर

उड़ने लगी है कल्पना बिम्बों की खोज में
कुछ शब्द चल पड़े हैं स्वयं को निखार कर

हर मोड़ पे मिलती है कामयाबियां उसे
जो हर लड़ाई लड़ते हैं गलती सुधार कर

अब तो लड़ाई है मेरी अन्याय के ख़िलाफ,
रख दूंगी सबके झूठ का चोला उतार कर !

 

- डॉ० भावना

ई-मेल:  bhavnakumari52@gmail.com

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश