Warning: session_start(): open(/tmp/sess_6548277503de3ba877d53af5a8177fef, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/child_article_details.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/child_article_details.php on line 1
 सर्दी का सूरज | बाल-कविता
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।
सर्दी का सूरज  (बाल-साहित्य )  Click to print this content  
Author:पूर्णिमा वर्मन

सुबह-सुबह आ जाता सूरज
दंगा नहीं मचाता सूरज

ना आँधी, ना धूल पसीना
सरदी में मनभाता सूरज

छतरी लगा बाग में बैठो
पिकनिक रोज़ मनाता सूरज

बर्गर हो या पिज़ा, पेस्ट्री
सबके मज़े बढ़ाता सूरज

नरम दूब पर छाया रहता
यहाँ वहाँ इतराता सूरज

दिन भर मेरे साथ खेलता
शाम ढले घर जाता सूरज

-पूर्णिमा वर्मन

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश