Warning: session_start(): open(/tmp/sess_f29975167833b9895fc5b95cb008afe9, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/child_article_details.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/child_article_details.php on line 1
 छत पर आकर बैठा कौवा | बाल कविता
भारत की सारी प्रांतीय भाषाओं का दर्जा समान है। - रविशंकर शुक्ल।
मीठी वाणी | बाल कविता (बाल-साहित्य )  Click to print this content  
Author:प्रभुदयाल श्रीवास्तव

छत पर आकर बैठा कौवा,
कांव-कांव चिल्लाया ।
मुन्नी को यह स्वर ना भाया,
पत्थर मार भगाया

तभी वहां पर कोयल आई,
कुहू-कुहू चिल्लाई 

उसकी प्यारी-प्यारी बोली,
मुनिया के मन भाई ।

मुन्नी बोली प्यारी कोयल,
रहो हमारे घर में ।
शक्कर से भी ज्यादा मीठा,
स्वाद तुम्हारे स्वर में ।

मीठी बोली वाणी वाले,
सबको सदा सुहाते ।
कर्कश कड़े बोल वाले कब,
दुनिया को हैं भाते !

-प्रभुदयाल श्रीवास्तव

pdayal_shrivastava@yahoo.com

 

 

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश