Warning: session_start(): open(/tmp/sess_319fe45e715c7aa54a278bdc96c78317, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/child_article_details.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/child_article_details.php on line 1
 हम मन में अपने विष कभी घोलते नहीं | ग़ज़ल | Ghazal by Rohit Kumar Happy
भारत की सारी प्रांतीय भाषाओं का दर्जा समान है। - रविशंकर शुक्ल।
हम मन में अपने विष कभी घोलते नहीं | ग़ज़ल (काव्य)  Click to print this content  
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी'

हम मन में अपने विष कभी घोलते नहीं
मन बात जो ना माने उसे बोलते नहीं।

अपनी नजर में कोई ना छोटा है ना बड़ा
दौलत से हम किसी को कभी तोलते नहीं।

जिस रास्ते बढ़ने लगे बढ़ते  गए  कदम
रस्ते सख्त को देख के हम डोलते नहीं।

जो आए दिल में आपके  आप  कीजिए
हम चुप रहेंगे अपनी जुबां खोलते नहीं।

- रोहित कुमार 'हैप्पी'

Previous Page  |  Index Page  |   Next Page
 
 
Post Comment
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश