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![रसखान | Raskhan](/author/thumb/5.jpg)
मिली खेलत फाग बढयो अनुराग सुराग सनी सुख की रमकै। # खेलत फाग लख्यौ पिय प्यारी को ता मुख की उपमा किहीं दीजै।
फागुन लाग्यो जब तें तब तें ब्रजमण्डल में धूम मच्यौ है। - रसखान
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मिली खेलत फाग बढयो अनुराग सुराग सनी सुख की रमकै। # खेलत फाग लख्यौ पिय प्यारी को ता मुख की उपमा किहीं दीजै।
फागुन लाग्यो जब तें तब तें ब्रजमण्डल में धूम मच्यौ है। - रसखान
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