Warning: session_start(): open(/tmp/sess_33ea96b8c6d7209927fbd8578eb63afe, O_RDWR) failed: No such file or directory (2) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_collect_details.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /tmp) in /home/bharatdarshanco/public_html/lit_collect_details.php on line 1
 क्यों डरें महर्षि वेलेन्टाइन से? - डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Valentine's Day - Dr. Ved Pratap Vaidik's Article
हिंदी जाननेवाला व्यक्ति देश के किसी कोने में जाकर अपना काम चला लेता है। - देवव्रत शास्त्री।
रिश्वतखोरों पर सीधी कार्रवाई (विविध)    Print  
Author:डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Dr Ved Pratap Vaidik
 

भारत की कुल जनसंख्या में आधे लोग नौजवान हैं। इन नौजवानों से एक अंग्रेजी अखबार ने पूछा कि आप में से कितनों ने कभी रिश्वत दी है? इस अखबार ने देश के 15 शहरों के 7 हजार नौजवानों से बात की। उसने पाया कि अहमदाबाद, मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों में लगभग 75 प्रतिशत जवानों ने कभी न कभी रिश्वत दी है। उन नौजवानों का कहना था कि हम क्या करें। हम मजबूर हैं। स्कूटर या कार का लायसेंस हो, पासपोर्ट हो, रेल का आरक्षण हो, जन्म या मृत्यु का प्रमाण-पत्र हो, सरकारी अस्पताल में इलाज करवाना हो- आप कहीं भी चले जाएं, रिश्वत के बिना कोई काम नहीं होता। हम सोचते हैं, चीखने-चिल्लाने और लड़ने-झगड़ने में अपना वक्त क्यों खराब करें? पैसे दें और पिंड छुड़ाएँ!  उन्होंने स्वीकार किया कि रिश्वत देने में हमें कोई संकोच नहीं होता।

यह बात तो कुछ बड़े शहरों के 75 प्रतिशत नौजवानों पर लागू होती है और छोटे शहरों के लगभग 45 प्रतिशत नौजवानों पर! तो क्या जो शेष नौजवान हैं, वे अपना काम बिना रिश्वत के चलाते हैं? क्या उन्होंने कभी कोई रिश्वत नहीं दी? इस संबंध में यह सर्वेक्षण मौन है। हो सकता है कि उसने यह सवाल नौजवानों से पूछा ही न हो। यह भी संभव है कि जिन नौजवानों ने रिश्वत नहीं दी, उन्हें रिश्वत देने का मौका ही न आया हो। यदि वैसा मौका होता तो वे भी क्यों चूकते? वे भी रिश्वत दे डालते। ‘शार्टकट’ कौन नहीं चाहता है?  यह हाल उस पीढ़ी का है, जो रामलीला मैदान और इंडिया गेट पर नारे लगा रही थी कि ‘गली-गली में चोर है।’

तो क्या हम यह मान लें कि पूरे भारत ने ही भ्रष्टाचार के आगे घुटने टेक दिए हैं? लगता तो ऐसा ही है। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। रिश्वत लेने वालों और देने वालों की संख्या मुश्किल से एक-दो प्रतिशत ही होगी। देश के 70-80 करोड़ लोग जो 30-35 रू. रोज पर गुजारा करते हैं, उन्हें रिश्वत से क्या लेना देना है? रिश्वत तो सिर्फ 25-30 करोड़ लोगों याने मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग का सिरदर्द है। उनमें भी सभी लोगों को न तो रिश्वत देने की जरूरत पड़ती है और न ही सारे सरकारी कर्मचारी रिश्वतखोर हैं। रिश्वत लेने और देने वालों की संख्या कुछ हजार और कुछ लाख तक ही सीमित है। इन लोगों को आप सिर्फ कानून के डर से सीधा नहीं कर सकते। इन्हें सीधा करने के लिए सीधी कार्रवाई की जरूरत है। रिश्वतखोरों के दफ्तरों पर अहिंसक धरने दिए जाएं और उनका जमकर प्रचार किया जाए तो ऐसी सौ - दो सौ घटनाएं ही सारे देश के रिश्वतखोरों को हिला देंगी। यदि देश के दस करोड़ नौजवान रिश्वत लेने और देने के विरूद्ध शपथ ले लें तो सोने में सुहागा हो जाए।

 

dr.vaidik@gmail.com
फरवरी 2012
ए-19,  प्रेस एनक्लेव, नई दिल्ली-17,   
फोन (निवास)  2651-7295,  मो. 98-9171-1947

#

 

समाज को कुरीतियों का कोढ़ लगा है और हम हाथ पर हाथ धरे मूक दर्शक बने बैठे हैं? डा वैदिक ने इस ज्वलंत समस्या पर अपने विचार और सुझाव रखे हैं, आप क्या कहते हैं?

आप स्वयं से पूछिए इस रिश्वतखोरी जैसी समस्या में आपका भी योगदान है कि नहीं? आज देश की पुलिस, नेता, अभिनेता और यहाँ तक की जनसाधारण अधिकतर भ्रष्ट हो चुके हैं तो पुलिस, नेता, अभिनेता कौन है? हम ही तो हैं? वे कोई आसमान से तो उतरे नहीं? क्या किया जाए? कैसे मुक्ति मिली हमें इस भ्रष्टाचार के झंझावत से? क्या आप डॉ. वेदप्रताप वैदिक के विचारों व उनके सुझावों से सहमत हैं? क्या आप इस बारे में कुछ कहना चाहते हैं?

  • क्या आप के पास इस समस्या का कोई समाधान है? क्या अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में फंसे और पंगु होते समाज को आप कोई समाधान सुझा पाएंगे?

  • क्या आप आज के इस परिवेश, सामाजिक ढांचे और जीवन में परिवर्तन चाहते हैं? क्या किया जाए?

  • अपने विचार केवल तभी दें यदि आप का कर्म उनसे मेल खाता हो - हाथी दांत वाले लोग कृपया क्षमा करें!

 हमें लिखें: editor@bharatdarshan.co.nz

Back
 
 
Post Comment
 
  Captcha
 

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश