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 दुष्यंत कुमार की ग़ज़लें | Hindi Ghazals by Dushyant Kumar
भारत की सारी प्रांतीय भाषाओं का दर्जा समान है। - रविशंकर शुक्ल।
दुष्यंत कुमार की ग़ज़लें (काव्य)    Print  
Author:दुष्यंत कुमार | Dushyant Kumar
 

दुष्यंत कुमार की ग़ज़लें - इस पृष्ठ पर दुष्यंत कुमार की ग़ज़लें संकलित की गई हैं। हमारा प्रयास है कि दुष्यंत कुमार की सभी उपलब्ध ग़ज़लें यहाँ सम्मिलित हों।

 

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हो गई है पीर पर्वत-सी | दुष्यंत कुमार
इस नदी की धार में | दुष्यंत कुमार
मैं जिसे ओढ़ता -बिछाता हूँ | दुष्यंत कुमार
आज सड़कों पर लिखे हैं सैंकड़ों नारे न देख | ग़ज़ल
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कहाँ तो तय था चराग़ाँ
 
 
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