भारतेंदु और द्विवेदी ने हिंदी की जड़ पाताल तक पहुँचा दी है; उसे उखाड़ने का जो दुस्साहस करेगा वह निश्चय ही भूकंपध्वस्त होगा।' - शिवपूजन सहाय।
दोहे
दोहा मात्रिक अर्द्धसम छंद है। इसके पहले और तीसरे चरण में 13 तथा दूसरे और चौथे चरण में 11 मात्राएं होती हैं। इस प्रकार प्रत्येक दल में 24 मात्राएं होती हैं। दूसरे और चौथे चरण के अंत में लघु होना आवश्यक है। दोहा सर्वप्रिय छंद है।

कबीर, रहीम, बिहारी, उदयभानु हंस, डा मानव के दोहों का संकलन।

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जीवन और संसार पर दोहे  - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड

आँखों से बहने लगी, गंगा-जमुना साथ ।
माँ ने पूछा हाल जो, सर पर रख कर हाथ ।।
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कबीर के कालजयी दोहे  - कबीरदास | Kabirdas

दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोय
जो सुख में सुमिरन करें, दुख काहे को होय
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