नागरी प्रचार देश उन्नति का द्वार है। - गोपाललाल खत्री।
इतिहास के पन्नों से
ऐतिहासिक तथ्यों, घटनाओं और साक्ष्यों पर आधारित आलेख, निबंध, काव्य व ऐतिहासिक कथा-कहानियों का संकलन।

Articles Under this Category

ऐसे थे चन्द्रशेखर आज़ाद - भारत-दर्शन संकलन

एक बार भगतसिंह ने बातचीत करते-करते मज़ाक में चन्द्रशेखर आज़ाद से कहा, "पंडित जी, हम क्रान्तिकारियों के जीवन-मरण का कोई ठिकाना नहीं, अत: आप अपने घर का पता दे दें ताकि यदि आपको कुछ हो जाए तो आपके परिवार की कुछ सहायता की जा सके।"
...

माँ | चंद्रशेखर की कविता  - चंद्रशेखर आज़ाद

माँ हम विदा हो जाते हैं, हम विजय केतु फहराने आज
तेरी बलिवेदी पर चढ़कर माँ निज शीश कटाने आज।
...

चंद्रशेखर आज़ाद का राखी प्रसंग - भारत-दर्शन संकलन

बात उन दिनों की है जब क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत थे और फिरंगी उनके पीछे लगे थे।
...

और नाम पड़ गया आज़ाद  - भारत-दर्शन संकलन

चन्द्रशेखर बचपन से ही महात्मा गांधी से प्रभावित थे। वे बचपन से स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने लगे थे - गांधीजी के 'असहयोग आंदोलन' के दौरान उन्होंने विदेशी सामानों का बहिष्कार किया।  इसी असहयोग आंदोलन के दौरान उन्हें पहली बार पंद्रह वर्ष की आयु आंदोलनकारी के रूप में पकड़ लिया गया और जब मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया गया।  उसका नाम पूछा गया तो  उन्होंने कहा "आजाद"।
...

आज़ाद के अमर-वचन - भारत-दर्शन संकलन

"जिस राष्ट्र ने चरित्र खोया उसने सब कुछ खोया।"
...

चन्द्रशेखर आज़ाद की पसंदीदा शायरी - भारत-दर्शन संकलन

पं० चंद्रशेखर आज़ाद को गाना गाने या सुनने का शौक नहीं था लेकिन फिर भी वे कभी-कभी कुछ शेर कहा करते थे। उनके साथियों ने निम्न शेर अज़ाद के मुंह से कई बार सुने थे:
...

चंद्रशेखर आज़ाद का जीवन परिचय - भारत-दर्शन संकलन

चंद्रशेखर आज़ाद (Chandrasekhar Azad) का जन्म 23 जुलाई, 1906 को एक आदिवासी ग्राम भाबरा में हुआ था। काकोरी ट्रेन डकैती और साण्डर्स की हत्या में सम्मिलित निर्भीक महान देशभक्त व क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अहम् स्थान रखता है।
...

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा - सुभाष चंद्र बोस - भारत-दर्शन संकलन

जब भारत स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत था और नेताजी आज़ाद हिंद फ़ौज के लिए सक्रिय थे तब आज़ाद हिंद फ़ौज में भरती होने आए सभी युवक-युवतियों को संबोधित करते हुए नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने कहा, "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा।"

'हम अपना खून देने को तैयार हैं, सभा में बैठे हज़ारों लोग हामी भरते हुए प्रतिज्ञा-पत्र पर हस्ताक्षर करने उमड़ पड़े।

नेताजी ने उन्हें रोकते हुए कहा, "इस प्रतिज्ञा-पत्र पर साधारण स्याही से हस्ताक्षर नहीं करने हैं। वही आगे बढ़े जिसकी रगो में सच्चा भारतीय खून बहता हो, जिन्हें अपने प्राणों का मोह न हो, और जो आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व त्यागने को तैयार हो़ं।"

नेताजी की बात सुनकर सबसे पहले सत्रह भारतीय युवतियां आगे आईं और अपनी कमर पर लटकी छुरियां निकाल कर, झट से अपनी उंगलियों पर छुरियां चलाकर अपने रक्त से प्रतिज्ञा-पत्र पर हस्ताक्षर करने लगीं।  महिलाओं के लिए रानी झांसी रेजिमेंट का गठन किया गया जिसकी कैप्टन बनी  लक्ष्मी सहगल।

...

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश