साहित्य का स्रोत जनता का जीवन है। - गणेशशंकर विद्यार्थी।
क्षणिकाएं
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अमिता शर्मा की दो क्षणिकाएं  - अमिता शर्मा

सांप

मीठा बनकर
जब भी कोई डसता है
तो...
जाने क्यूं !
सांप पर मुझे
बहुत प्यार आता है।
...

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