हिंदी भाषा अपनी अनेक धाराओं के साथ प्रशस्त क्षेत्र में प्रखर गति से प्रकाशित हो रही है। - छविनाथ पांडेय।

 
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आरती शर्मा की क्षणिकाएँ - आरती शर्मा

याद आई माँ
ना आई पाती
कहाँ मैं जाती?

- आरती शर्मा

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