नागरी प्रचार देश उन्नति का द्वार है। - गोपाललाल खत्री।
भारतीय व्रत, त्योहार व मेले
उत्सव या त्योहार को मनाने के नियम है। उत्सवों में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। उत्सव के आयोजन या इन्हें मनाने का अभिप्राय जीवन से दुःख मिटाना व सुख प्राप्ति है। उत्सव मनाने का अन्य उद्देश्य प्रकृति व ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करना भी है। सागर पार बसे इस छोटे से देश न्यूज़ीलैंड में भी अपने तीज-त्योहार यथावत् रहें ऐसी हमारी भावना है। हमारे इस प्रयास में आप अपनी सामग्री का सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है।

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दीवाली पौराणिक कथाएं - भारत-दर्शन संकलन

नि:संदेह भारतीय व्रत एवं त्योहार हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। हमारे सभी व्रत-त्योहार चाहे वह होली हो, रक्षा-बंधन हो, करवाचौथ का व्रत हो या दीवाली पर्व, कहीं न कहीं वे पौराणिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं और उनका वैज्ञानिक पक्ष भी नकारा नहीं जा सकता।
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अपने जीवन को 'आध्यात्मिक प्रकाश' से प्रकाशित करने का पर्व है दीपावली! - डा. जगदीश गांधी

दीपावली ‘अंधरे' से ‘प्रकाश' की ओर जाने का पर्व है:
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दीया घर में ही नहीं, घट में भी जले - ललित गर्ग - भारत-दर्शन संकलन | Collections

दीपावली का पर्व ज्योति का पर्व है। दीपावली का पर्व पुरुषार्थ का पर्व है। यह आत्म साक्षात्कार का पर्व है। यह अपने भीतर सुषुप्त चेतना को जगाने का अनुपम पर्व है। यह हमारे आभामंडल को विशुद्ध और पर्यावरण की स्वच्छता के प्रति जागरूकता का संदेश देने का पर्व है। प्रत्येक व्यक्ति के अंदर एक अखंड ज्योति जल रही है। उसकी लौ कभी-कभार मद्धिम जरूर हो जाती है, लेकिन बुझती नहीं है। उसका प्रकाश शाश्वत प्रकाश है। वह स्वयं में बहुत अधिक देदीप्यमान एवं प्रभामय है। इसी संदर्भ में महात्मा कबीरदासजी ने कहा था-'बाहर से तो कुछ न दीसे, भीतर जल रही जोत'।
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