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Articles Under this Category |
डॉ शुभंकर मिश्र - लछमन गुन गाथा |
[‘लछमन गुन गाथा’ नामक पुस्तक के लोकार्पण पर] |
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विश्व हिन्दी दिवस | 10 जनवरी - रोहित कुमार हैप्पी |
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2006 में 10 जनवरी को प्रति वर्ष विश्व हिन्दी दिवस के रूप मनाए जाने की घोषणा की थी। |
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गणतंत्र की ऐतिहासिक कहानी - भारत-दर्शन संकलन |
भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ तथा 26 जनवरी 1950 को इसका संविधान प्रभावी हुआ। इस संविधान के अनुसार भारत देश एक लोकतांत्रिक, संप्रभु तथा गणतंत्र देश घोषित किया गया। |
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माओरी कहावतें - भारत-दर्शन |
एक माओरी कहावत है, ‘E tino mōhio ai te tāngata ki te tāngata me mōhio anō ki te reo me ngā tikanga taua tāngata.’ -- लोगों को अच्छी तरह से जानने के लिए, उनकी भाषा और रीति-रिवाजों को जानना आवश्यक है। तभी हमें लगा कि भारतीय दृष्टि से माओरी संसार को समझने का प्रयास करना चाहिए। |
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गणतंत्र दिवस आयोजन - भारत-दर्शन संकलन |
हर वर्ष गणतंत्र दिवस पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। राजधानी नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के समीप रायसीना पहाड़ी से राजपथ पर गुजरते हुए इंडिया गेट तक और बाद में ऐतिहासिक लाल किले तक भव्य परेड का आयोजन किया जाता है। |
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गणतंत्र की पृष्ठभूमि - भारत-दर्शन संकलन |
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लाहौर सत्र |
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बलम संग कलकत्ता न जाइयो, चाहे जान चली जाये - संदीप तोमर |
पुस्तक का नाम: बलम कलकत्ता |
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जल बरसाने वाले वृक्ष - कुमार मनीश |
कैनरी टापू (Canery Island) पर अधिकतर वर्षा नहीं होती। यहाँ नदी नाले या झरने नहीं पाए जाते। वहां एक प्रकार के जल वृक्ष पाए जाते हैं जिनसे प्रतिदिन रात के समय वर्षा होती है। कैनरी टापू के निवासी इस जल का प्रयोग दैनिक उपयोग के लिए भी करते हैं। |
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कुछ नहीं होने की पीड़ा - लतीफ़ घोंघी |
कुछ नहीं हुआ। कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। नगर शांत रहा। इन सभी स्थितियों से वे दुःखी थे। उनके चेहरे पर कुछ नहीं होने की पीड़ा थी। |
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शब्द-चित्र काव्य - रोहित कुमार 'हैप्पी' |
निम्न शब्द-चित्र काव्य में प्रत्येक पंखुड़ी में एक अक्षर है और चित्र के मध्य में 'न' दिया हुआ है। |
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प्रवासी भारतीय दिवस - रोहित कुमार 'हैप्पी' |
9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) के रूप में मान्यता दी गई है क्योंकि 1915 में इसी दिन महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। |
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तिरुवनामालै : पवित्र और आध्यात्मिक स्थल - डॉ एस मुत्तु कुमार |
भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित एक पवित्र तीर्थ स्थल है तिरुवनामलै। यह पवित्र स्थल चेन्नई से लगभग 192 किलोमीटर की दूरी पर है। यह शिवजी के पंच भूत स्थलों में अग्नि स्थल के रूप में जाना जाता है। भगवान शिव की पूजा भूतनाथ के रूप में भी की जाती है। भूतनाथ का अर्थ है ब्रह्मांड के पाँच तत्वों, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश के स्वामी। इन्हीं पंचतत्वों के स्वामी के रूप में भगवान शिव को समर्पित पाँच मंदिरों की स्थापना दक्षिण भारत के पाँच शहरों में की गई है। ये शिव मंदिर, भारत भर में स्थापित द्वादश ज्योतिर्लिंगों के समान ही पूजनीय हैं। इन्हें संयुक्त रूप से पंच महाभूत स्थल कहा जाता है। यह पवित्र स्थल कई सिद्धों-योगियों से जुड़ा हुआ है और वर्तमान काल में अरुणाचल की पहाड़ियाँ है। यह 20वीं सदी में गुरु रमण महर्षि का निवास स्थल रहा है। |
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भेजो - नरेन्द्र कोहली |
"हुजूर! ख़बर आई है कि हमारे लोगों ने भारतीय कश्मीर में पच्चीस हिंदू तो मार ही दिए हैं। ज़्यादा हों तो भी कुछ कहा नहीं जा सकता। उन्होंने दो-दो साल के बच्चे भी मार गिराए हैं।” |
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पगडंडी में पहाड़ | यात्रा वृतांत - जय प्रकाश पाण्डेय |
“पगडंडी में पहाड़” जय प्रकाश पाण्डेय कृत एक यात्रा वृतांत है जिसमें उत्तराखंड के सुरम्य पर्वतीय अंचलों, पहाड़ों, झरने, उछलते कूदते नदी नाले, वहां के सीधे साधे लोगों की कहानी है। हिमालय प्रारम्भ से ही मानव सभ्यता एवं संस्कृति का उद्गगम रहा है । मानव के मान अभियान एवम दर्प को चूर्ण करने वाला हिमालय प्रकृति की श्रेष्ठतम कृति है। हिमालय देखने में जितना विशाल है यह उतना ही शीलवान, सुकोमल, सुंदर एवम मानव के दिलों को सबसे ज्यादा लुभाने वाला है। इसने मानवीय सभ्यताओं को विकसित करने के साथ उसके मनोभावों को जागृत करने का सबसे बड़ा उपक्रम रहा है। हिमालय की वादियों का एक-एक पत्थर, चट्टान बोलता है। चीड़ देवदार के पेड़ों की प्रत्येक पत्ती शरारत करती है और इसकी हरियाली आपमें प्राण डाल देती है। झरने गीत गाते है, हवाएं संगीत देती है, पुष्प मुस्कराते है और विस्तृत फैली वादियाँ बाहें फैलाये सदियों से न जाने किसका इंतजार कर रही है। इन पर्वतों की कंदराओं में तो जीवन बिताया जा सकता है। न जाने कितनी सदियों का साक्षी ये कंकड़ पत्थर हमसें बात करना चाहते है। आवश्यकता है कि जीवन की भागदौड़ से कुछ पल चुराकर इनके साथ गुजारा जाए, इनसे बात की जाए। |
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के आलोक में स्कूली शिक्षा: भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रासंगिकता - प्रो. सरोज शर्मा |
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