हिंदी भाषा अपनी अनेक धाराओं के साथ प्रशस्त क्षेत्र में प्रखर गति से प्रकाशित हो रही है। - छविनाथ पांडेय।
बच्चों की कविताएं
यहाँ आप पाएँगे बच्चों के लिए लिखा बाल काव्य जिसमें छोटी बाल कविताएं, बाल गीत, बाल गान सम्मिलित हैं।

Articles Under this Category

बरखा बहार - भव्य सेठ

देखो भाई बरखा बहार
लेकर आई बूंदों की फुहार
रिमझिम-रिमझिम झड़ी लगाई
धरती कैसी है मुसकाई
लहराते पत्ते-पत्ते पर
हरियाली इसने बिखराई

ऋतुओं ने किया शृंगार
देखो आई बरखा बहार
झूम उठा मौसम चित्तचोर
नाच उठा जंगल में मोर
चमचम-चमचम बिजली बरसे
रिमझिम-रिमझिम बादल बरसे
...

मामी निशा | बाल-कविता  -  रामनरेश त्रिपाठी

चंदा मामा गए कचहरी, घर में रहा न कोई,
मामी निशा अकेली घर में कब तक रहती सोई!
...

दोहे - रहीम

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।।

रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय।
सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।।

एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।।

चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवध-नरेस।
जा पर बिपदा पड़त है, सो आवत यह देस।।

...

हर देश में तू, हर भेष में तू - संत तुकड़ोजी

हर देश में तू, हर भेष में तू, तेरे नाम अनेक तू एकही है।
तेरी रंगभूमि यह विश्व भरा, सब खेल में, मेल में तू ही तो है।।
सागर से उठा बादल बनके, बादल से फटा जल हो करके।
फिर नहर बना नदियाँ गहरी, तेरे भिन्न प्रकार, तू एकही है।।
चींटी से भी अणु-परमाणु बना, सब जीव-जगत् का रूप लिया।
कहीं पर्वत-वृक्ष विशाल बना, सौंदर्य तेरा, तू एकही है।।
यह दिव्य दिखाया है जिसने, वह है गुरुदेव की पूर्ण दया।
तुकड़या कहे कोई न और दिखा, बस मैं अरु तू सब एकही है।।

- संत तुकड़ोजी

...

गिलहरी  - अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'

कहते जिसे गिलहरी हैं सब ।
सभी निराले उसके हैं ढब ॥
...

प्रयास करो, प्रयास करो - वीर सिंह

प्रयास करो, प्रयास करो
जब तक हैं साँस प्रयास करो
जब तक हैं आस प्रयास करो
न हारो, न थको, न रुको,
बढ़ो ओर जीतने का प्रयास करो ।

...

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश