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आलेख |
प्रतिनिधि निबंधों व समालोचनाओं का संकलन आलेख, लेख और निबंध. |
Articles Under this Category |
राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द का संबोधन - भारत-दर्शन समाचार |
भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द का 71वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम सन्देश |
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मेरी कथायात्रा - कृष्णा सोबती |
अपनी साहित्यिक यात्रा में मुझे न किसी को पछाड़ने की फ़िक्र रही और न किसी से पिछड़ने का आतंक। इरादा सिर्फ इतना कि लिखते रहो, अपने कदमों से बढ़ते रहो, अपनी राह पर। जो देखा है, जाना है, जिया है, पाया है, खोया है, उसके पार निगाह रखो। एक व्यक्ति के निज के आगे और अलग भी एक और बड़ी दुनिया है। उसे मात्र जानने की नहीं, अपने पर उतारने की समझ जगाओ। तालीम बढ़ाओ। फिर जो उजागर हो, उसे समेट लो! याद रहे यह कि जो तुम हो, उसे ही संवेदन का मानदंड समझ लेना काफी नहीं। जो तुमने झेला है, संघर्ष उतना ही नहीं। अपनी सीमाओं और क्षमताओं पर आँख रखते हुए- सफल और विफल के झमेलों को भूल, अथक परिश्रम और चौकसी ही कृतित्व को कृतार्थ करती है। अपने पांव तले की एक छोटी सी ज़मीन पर खड़े होकर, एक बड़ी दुनिया से साक्षात्कार करती है। लेखक में प्रतिभा कितनी है- इसे जांचने-मापने का काम आलोचक के जिम्मे है। |
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देसियों के विदेशी बुखार - रीता कौशल | ऑस्ट्रेलिया |
जैसे ही दिवाली आने वाली होती है सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तैरने लगती है कि चीन की बनी इलेक्ट्रिक झालर मत खरीदो, अपने यहाँ के कुम्हारों के बने दीये खरीद कर दिवाली पर जलाओ। ऐसा ही रक्षाबंधन के आसपास राखी के धागों को लेकर होता है पर क्या आज ग्लोबलाइजेशन के दौर में विदेशी सामान की खरीद से बचना इतना आसान है? इन फेसबुक पोस्ट को देख कर लगता है कि हम भारतीयों की देशभक्ति एक मौसमी बुखार की तरह है जो कुछ खास मौसम में ही जोर मारती है। |
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