जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
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देश-विदेश के हिंदी हाइकु - भारत-दर्शन संकलन

रस झरता
जीवन में जब हो
समरसता

-डॉ. मिथिलेश दीक्षित, भारत
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