जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
हिंदी भजन
हिंदी भजन-Hindi Bhajan

Articles Under this Category

गुरु महिमा | पद  - सहजो बाई

राम तजूँ पै गुरु न बिसारूँ, गुरु के सम हरि कूँ न निहारूँ ।।
हरि ने जन्म दियो जग माहीं। गुरु ने आवा गमन छुटाहीं ।।
हरि ने पाँच चोर दिये साथा। गुरु ने लई छुटाय अनाथा ।।
हरि ने रोग भोग उरझायो। गुरु जोगी करि सबै छुटायो ।।
हरि ने कर्म मर्म भरमायो। गुरु ने आतम रूप लखायो ।।
फिरि हरि वध मुक्ति गति लाये। गुरु ने सब ही भर्म मिटाये ।।
चरन दास पर तन-मन वारूँ। गुरु न तजूँ हरि को तजि डारूँ ।।
...

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश