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काव्य |
जब ह्रदय अहं की भावना का परित्याग करके विशुद्ध अनुभूति मात्र रह जाता है, तब वह मुक्त हृदय हो जाता है। हृदय की इस मुक्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती आई है उसे काव्य कहते हैं। कविता मनुष्य को स्वार्थ सम्बन्धों के संकुचित घेरे से ऊपर उठाती है और शेष सृष्टि से रागात्मक संबंध जोड़ने में सहायक होती है। काव्य की अनेक परिभाषाएं दी गई हैं। ये परिभाषाएं आधुनिक हिंदी काव्य के लिए भी सही सिद्ध होती हैं। काव्य सिद्ध चित्त को अलौकिक आनंदानुभूति कराता है तो हृदय के तार झंकृत हो उठते हैं। काव्य में सत्यं शिवं सुंदरम् की भावना भी निहित होती है। जिस काव्य में यह सब कुछ पाया जाता है वह उत्तम काव्य माना जाता है। |
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प्रेमचंद पर कविताएं - रोहित कुमार हैप्पी |
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बढ़े चलो! बढ़े चलो! - सोहनलाल द्विवेदी | Sohanlal Dwivedi |
न हाथ एक शस्त्र हो |
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राखी की चुनौती | सुभद्रा कुमारी चौहान - सुभद्रा कुमारी |
बहिन आज फूली समाती न मन में । |
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शहीद पूछते हैं - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
भोग रहे जो आज आज़ादी |
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दिविक रमेश की चार कविताएँ - दिविक रमेश |
सुनहरी पृथ्वीसूरज |
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स्वतंत्रता का नमूना - काका हाथरसी | Kaka Hathrasi |
बिना टिकिट के ट्रेन में चले पुत्र बलवीर |
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देश - शेरजंग गर्ग |
ग्राम, नगर या कुछ लोगों का काम नहीं होता है देश |
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सहजो बाई के गुरु पर दोहे - सहजो बाई |
'सहजो' कारज जगत के, गुरु बिन पूरे नाहिं । |
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हज़ल | हास्य ग़ज़ल - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
जा तू भी हँसता-बसता रह, अपनी कारगुज़ारी में |
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जय बोलो बेईमान की | हास्य-कविता - काका हाथरसी | Kaka Hathrasi |
मन मैला तन ऊजरा भाषण लच्छेदार |
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वन्देमातरम् - भारत-दर्शन संकलन | Collections |
'वन्देमातरम्' बंकिम चन्द्र चटर्जी द्वारा संस्कृत में रचा गया; यह स्वतंत्रता की लड़ाई में भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत था। इसका स्थान हमारे राष्ट्र गान, 'जन गण मन...' के बराबर है। इसे पहली बार 1896 में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के सत्र में गाया गया था। |
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वन्देमातरम् | राष्ट्रीय गीत - भारत-दर्शन संकलन | Collections |
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्! |
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आज़ादी - हफ़ीज़ जालंधरी |
शेरों को आज़ादी है, आज़ादी के पाबंद रहें, |
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तुम्हारे जिस्म जब-जब | ग़ज़ल - कुँअर बेचैन |
तुम्हारे जिस्म जब-जब धूप में काले पड़े होंगे |
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राखी | कविता - सुभद्रा कुमारी |
भैया कृष्ण ! भेजती हूँ मैं |
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पंद्रह अगस्त, स्वतंत्रता दिवस पर कविताएं - भारत-दर्शन संकलन |
26 जनवरी, 15 अगस्तकिसकी है जनवरी, |
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मैं जग को पहचान न पाया - भगवद्दत्त 'शिशु' |
मैं जग को पहचान न पाया। |
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देश भक्ति कविताएं - भारत-दर्शन संकलन |
देश-भक्ति कविताएंयहां देश-प्रेम, देश-भक्ति व राष्ट्रीय काव्य संग्रहित किया गया है। |
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माँ | सुशांत सुप्रिय की कविता - सुशांत सुप्रिय |
इस धरती पर |
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गुरु महिमा | पद - सहजो बाई |
राम तजूँ पै गुरु न बिसारूँ, गुरु के सम हरि कूँ न निहारूँ ।। |
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दो मिनट का मौन - केदारनाथ सिंह |
भाइयो और बहनो |
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प्राण वन्देमातरम् - भारत-दर्शन संकलन | Collections |
हम भारतीयों का सदा है, प्राण वन्देमातरम्। |
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छीन सकती है नहीं सरकार वन्देमातरम् - भारत-दर्शन संकलन | Collections |
छीन सकती है नहीं सरकार वन्देमातरम् । |
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शब्द वन्देमातरम् - भारत-दर्शन संकलन | Collections |
फ़ैला जहाँ में शोर मित्रो! शब्द वन्देमातरम्। |
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कबीर दोहे -5 - कबीरदास | Kabirdas |
दया कौन पर कीजिये, का पर निर्दय होय । |
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मन्त्र वन्देमातरम् - भारत-दर्शन संकलन | Collections |
हर घड़ी हर बार हो हर ठाम वन्द्देमातरम्। |
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तू इतना कमज़ोर न हो - राजगोपाल सिंह |
तू इतना कमज़ोर न हो |
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घोटाला - गौरीशंकर मधुकर |
पिछले साल |
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राजेश ’ललित’ की दो क्षणिकाएँ - राजेश ’ललित’ |
ख़्वाबथे हमारे भी ! |
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भारत न रह सकेगा ... - शहीद रामप्रसाद बिस्मिल |
भारत न रह सकेगा हरगिज गुलामख़ाना। |
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दुर्योधन सा सिंहासन है मिला - प्रियांशु शेखर |
मेरे अधिकार तो छीन लिए तुमने |
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सरफ़रोशी की तमन्ना - पं० रामप्रसाद बिस्मिल |
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है। |
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बंदगी के सिवा ना हमें कुछ गंवारा हुआ - रामकिशोर उपाध्याय |
बंदगी के सिवा ना हमें कुछ गंवारा हुआ |
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बिस्तरा है न चारपाई है - त्रिलोचन |
बिस्तरा है न चारपाई है |
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यमराज से मुलाक़ात - मनीष सिंह |
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सुनीति | कविता - चंद्रधर शर्मा गुलेरी | Chandradhar Sharma Guleri |
निज गौरव को जान आत्मआदर का करना |
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सारे जहाँ से अच्छा - इक़बाल |
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा। |
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दुर्दिन - अलेक्सांद्र पूश्किन |
स्वप्न मिले मिट्टी में कब के, |
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हम आज भी तुम्हारे... - भारत भूषण |
हम आज भी तुम्हारे तुम आज भी पराये, |
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आत्म-दर्शन - श्रीकृष्ण सरल |
चन्द्रशेखर नाम, सूरज का प्रखर उत्ताप हूँ मैं, |
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कौमी गीत - अजीमुल्ला |
हम हैं इसके मालिक हिंदुस्तान हमारा |
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भारतवर्ष - श्रीधर पाठक |
जय जय प्यारा भारत देश। |
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मरना होगा | कविता - जगन्नाथ प्रसाद 'अरोड़ा' |
कट कट के मरना होगा। |
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स्वतंत्रता दिवस की पुकार - अटल बिहारी वाजपेयी |
पन्द्रह अगस्त का दिन कहता - आज़ादी अभी अधूरी है। |
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पुष्प की अभिलाषा | कविता - माखनलाल चतुर्वेदी |
चाह नहीं मैं सुरबाला के, |
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फेसबुक बनाम फेकबुक - रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड |
'फेसबुक' में |
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शुभेच्छा - लक्ष्मीनारायण मिश्र |
न इच्छा स्वर्ग जाने की नहीं रुपये कमाने की । |
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लेकर रेखा से कुछ बिन्दु | गीत - विजय रंजन |
लेकर रेखा से कुछ बिन्दु, आओ रेखा नई बनाएँ।। |
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भिक्षुक | कविता | सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | Suryakant Tripathi 'Nirala' |
वह आता -- |
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दो ग़ज़लें - बलजीत सिंह 'बेनाम' |
फ़ोन पर ज़ाहिरफ़ोन पर ज़ाहिर फ़साने हो गए |
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घर जला भाई का - खुरशीद |
कौम के वास्ते कुछ करके दिखाया न गया |
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चंद्रशेखर आज़ाद - रोहित कुमार 'हैप्पी' |
शत्रुओं के प्राण उन्हें देख सूख जाते थे |
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सुशील सरना की दो कविताएँ - सुशील सरना |
अवशेषगोली |
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वो तुम नहीं हो - शिल्पा वशिष्ठ |
सुनो जाना मेरी बातों में जिस का ज़िक्र होता है |
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अनमोल सीख - कोमल मेहंदीरत्ता |
घने-काले बादल |
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माँ! तुम्हारी याद - कोमल मेहंदीरत्ता |
अचानक पीछे से जाकर |
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भारत वंदना - व्यग्र पाण्डे |
वंदनीय भारत । |
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ओ शासक नेहरु सावधान - वंशीधर शुक्ल |
ओ शासक नेहरु सावधान, |
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कला की कसौटी - शिवसिंह सरोज |
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आत्मा की फांक - चरण सिंह अमी |
"जो नहीं हैं मेरी बात से सहमत, |
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चाय पर शत्रु-सैनिक - विहाग वैभव |
उस शाम हमारे बीच किसी युद्ध का रिश्ता नहीं था |
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तू भी है राणा का वंशज - वाहिद अली 'वाहिद' |
कब तक बोझ सम्भाला जाये |
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पंद्रह अगस्त की पुकार - अटल बिहारी वाजपेयी | Atal Bihari Vajpayee |
पंद्रह अगस्त का दिन कहता - |
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मुस्कुराहट - डॉ दीपिका |
मुस्कुराहट सदैव बनाये रखना, |
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कुछ हाइकु - आनन्द विश्वास (Anand Vishvas) |
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