जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
हास्य काव्य
भारतीय काव्य में रसों की संख्या नौ ही मानी गई है जिनमें से हास्य रस (Hasya Ras) प्रमुख रस है जैसे जिह्वा के आस्वाद के छह रस प्रसिद्ध हैं उसी प्रकार हृदय के आस्वाद के नौ रस प्रसिद्ध हैं - श्रृंगार रस (रति भाव), हास्य रस (हास), करुण रस (शोक), रौद्र रस (क्रोध), वीर रस (उत्साह), भयानक रस (भय), वीभत्स रस (घृणा, जुगुप्सा), अद्भुत रस (आश्चर्य), शांत रस (निर्वेद)।

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नेता जी की शिकायत - प्रवीण शुक्ला

एक कवि-सम्मेलन में
'नेता जी' मुख्य अतिथि के रूप में आये हुए थे,
परन्तु गुस्से के कारण
अपना मुँह फुलाये हुए थे ।
उपस्थित अधिकांश कवि
नेताओं के विरोध में कविता सुना रहे थे,
इसलिए, नेता जी को
बिल्कुल भी नहीं भा रहे थे ।
जब उनके भाषण का नम्बर आया
तो उन्होंने यूँ फ़रमाया-
...

पिंकी - बाबू लाल सैनी

एक विरोधी पक्ष के नेता गाँव में पधारे,
और,
भीड़ इक्ट्ठी कर मंच से दहाड़े,
भाइयो और बहनों-
पिछली बार दूसरी पार्टी वाले सत्ता में आ गए,
और देश के नदी-नाले सब बेच कर खा गए.
इस बार हमें मौका दीजिए,
और देखिए-
महंगाई और भ्रष्टाचार का नाश होगा,
गाँव मे फिर से विकास होगा।
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सोशल मीडिया - अभय गौड़

सोशल मीडिया बन गया है एक नया संसार
जिसमें बढ़ता जा रहा है सूचना का भण्डार
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