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कविताएं |
देश-भक्ति की कविताएं पढ़ें। अंतरजाल पर हिंदी दोहे, कविता, ग़ज़ल, गीत क्षणिकाएं व अन्य हिंदी काव्य पढ़ें। इस पृष्ठ के अंतर्गत विभिन्न हिंदी कवियों का काव्य - कविता, गीत, दोहे, हिंदी ग़ज़ल, क्षणिकाएं, हाइकू व हास्य-काव्य पढ़ें। हिंदी कवियों का काव्य संकलन आपको भेंट! |
Articles Under this Category |
आपकी हँसी - रघुवीर सहाय | Raghuvir Sahay |
निर्धन जनता का शोषण है |
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प्रभु ईसा - मैथिलीशरण गुप्त | Mathilishran Gupt |
मूर्तिमती जिनकी विभूतियाँ |
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दिवाली के दिन | हास्य कविता - गोपालप्रसाद व्यास | Gopal Prasad Vyas |
''तुम खील-बताशे ले आओ, |
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क्योंकि सपना है अभी भी - धर्मवीर भारती | Dhramvir Bharti |
...क्योंकि सपना है अभी भी |
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जगमग जगमग - सोहनलाल द्विवेदी | Sohanlal Dwivedi |
हर घर, हर दर, बाहर, भीतर, |
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वंदना के इन स्वरों में - सोहनलाल द्विवेदी | Sohanlal Dwivedi |
वंदना के इन स्वरों में, एक स्वर मेरा मिला लो। |
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मधुर-मधुर मेरे दीपक जल - महादेवी वर्मा | Mahadevi Verma |
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल! |
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बीज - संजय भारद्वाज |
जलती सूखी जमीन |
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साथी, घर-घर आज दिवाली! - हरिवंश राय बच्चन | Harivansh Rai Bachchan |
साथी, घर-घर आज दिवाली! |
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आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ - हरिवंश राय बच्चन | Harivansh Rai Bachchan |
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ |
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दीपक जलाना कब मना है - हरिवंश राय बच्चन | Harivansh Rai Bachchan |
स्वर्ग के दुष्प्राप्य रंगों से, रसों से जो सना था |
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फूलवाली - रामकुमार वर्मा |
फूल-सी हो फूलवाली। |
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कागज़ - स्वरांगी साने |
उन पीले ज़र्द कागज़ों के पास |
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ख़ाक - अमर मंडल |
था मैं भी पेड़, |
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हम और वनवासी - कुमार हर्ष |
सुना है वनवासियों के चाँद से गहरे रिश्ते हैं। |
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नए किस्से - अनन्य दूबे |
हर चेहरे को गौर से देखो |
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क्यों न - मनीषा एन पाठक |
क्यों न कुछ शब्द चुन लूँ, |
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खामोशियाँ - राधा |
खामोशियों का दौर इस कदर बढ़ गया है |
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आओ फिर से दीया जलाएं | कविता - अटल बिहारी वाजपेयी | Atal Bihari Vajpayee |
आओ फिर से दिया जलाएं |
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कैदी कविराय की कुंडलिया - अटल बिहारी वाजपेयी | Atal Bihari Vajpayee |
गूंजी हिन्दी विश्व में स्वप्न हुआ साकार, |
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विप्लव-गान | बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ - बालकृष्ण शर्मा नवीन | Balkrishan Sharma Navin |
कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ जिससे उथल-पुथल मच जाये, |
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मुक्तिबोध की कविताएं - गजानन माधव मुक्तिबोध | Gajanan Madhav Muktibodh |
यहाँ मुक्तिबोध के कुछ कवितांश प्रकाशित किए गए हैं। हमें विश्वास है पाठकों को रूचिकर व पठनीय लगेंगे। |
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कलम गहो हाथों में साथी - हरिहर झा | ऑस्ट्रेलिया | Harihar Jha |
कलम गहो हाथों में साथी |
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लिखना बाकी है - हरिहर झा | ऑस्ट्रेलिया | Harihar Jha |
शब्दों के नर्तन से शापित |
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दीवाली का सामान - भारत-दर्शन संकलन | Collections |
हर इक मकां में जला फिर दिया दिवाली का |
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