जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
लघुकथाएं
लघु-कथा, *गागर में सागर* भर देने वाली विधा है। लघुकथा एक साथ लघु भी है, और कथा भी। यह न लघुता को छोड़ सकती है, न कथा को ही। संकलित लघुकथाएं पढ़िए -हिंदी लघुकथाएँप्रेमचंद की लघु-कथाएं भी पढ़ें।

Articles Under this Category

इच्छा | लघु-कथा  - रंजीत सिंह

हूँ...., आज माँ ने फिर से बैंगन की सब्जी बना कर डिब्बे में डाल दी। मुझे माँ पर गुस्सा आ रहा था । कितनी बार कहा है कि मुझे ये सब्जी पसंद नहीं, मत बनाया करो।
...

कोरोना फिर कब आएगा  - अनिता शर्मा की लघुकथा

सुमेल और राकेश की ड्यूटी स्लम एरिया में राशन बाँटने की लगी थी। बस्ती की सारी गलियों में राशन बाँटकर गाड़ी सड़क की ओर मोड़ ही रहे थे कि देखा पीछे से एक औरत बाबूजी, बाबूजी कहती हुई भागती आ रही थी। उसे देख सुमेल ने राकेश को गाड़ी रोकने के लिए कहा, वह औरत पास आई तो सुमेल ने कहा, "बीबी सारा सामान मिल तो गया है, कम से कम हफ़्ता-दस दिन चल जाएगा। अब और क्या चाहिए तुम्हें?"
...

सीड बॉल - प्रो. मनोहर जमदाडे

जून का महीना था। इतवार के दिन मैं काम से छुट्टी लेता था। छुट्टी के दिन सुबह-सुबह गाँव में टहलने की मेरी आदत थी। अपनी आदत के मुताबिक मैं घर से निकला था। गाँव के बाहर पहाड़ों पर छोटी छोटी आकृतियाँ दिखाई दे रही थी। वैसे तो यह जगह अक्सर सुनसान रहती थी। मैं पहाड़ की तरफ निकल गया और वहाँ पहुँचने पर देखा कि छोटे बच्चे कीचड़ के लड्डू बना रहे थे। डॉक्टर होने के कारण मुझसे रहा नहीं गया। आदत के अनुसार बच्चों को हिदायते देने लगा। कीचड़ से सने उनके शरीर को देखकर, उनको डाटने भी लगा।
...

देवताओं का फ़ैसला - अज्ञात

(1)
प्रातःकाल महाराज उठे उन्होंने आज्ञा दी, कि शाही दरवाज़े के भिक्षुकों को सम्मान से हमारे सामने पेश किया जाये।
...

सब्स्क्रिप्शन

सर्वेक्षण

भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?

अच्छा लगा
अच्छा नही लगा
पता नहीं
आप किस देश से हैं?

यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश