जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
व्यंग्य
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चाचा का ट्रक और हिंदी साहित्य - शरद जोशी | Sharad Joshi

अभी-अभी एक ट्रक के नामकरण समारोह से लौटा हूं। मेरे एक रिश्तेदार ने जिनका हमारे घर पर काफी दबदबा है, कुछ दिन हुए एक ट्रक खरीदा है। उसका नाम रखने के लिए मुझे बुलाया था। एक लड़का, जो अपने आपको बहुत बड़ा आर्टिस्ट मानता था, जिसका पैंट छोटा था, मगर बाल काफी लंबे थे, रंग और ब्रश लिए पहले से वहां बैठा था कि जो नाम निकले वह ट्रक पर लिख दे। मैं समय पर पहुंच गया, इसके लिए रिश्तेदार, जिनको मैं चाचाजी कहता हूँ, प्रसन्न थे। उनका कहना था कि यदि नौ बजे बुलाया कलाकार बारह बजे पहुंचे तो उसे समय पर मानो।
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