जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
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प्रतिनिधि निबंधों व समालोचनाओं का संकलन आलेख, लेख और निबंध.

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माँ का संवाद – लोरी -  इलाश्री जायसवाल

माँ बनना स्वयं में एक आनन्ददायी व संपूर्ण अनुभव है। यह प्रक्रिया तभी से आरंभ हो जाती है जब एक स्त्री गर्भ धारण करती है। गर्भ धारण करने से लेकर शिशु के जन्म तक स्त्री शिशु से अनेक प्रकार से संवाद करती है फिर चाहे वह संवाद उसकी भावनाओं का हो या पेट पर हाथ फेरकर सहलाने का हो। शिशु समस्त भावों को समझता है तभी तो गर्भवती स्त्रियों को अच्छा संगीत सुनने, अच्छी पुस्तकें पढ़ने अथवा अच्छा सोचने के लिए कहा जाता है।
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दलित साहित्य के महानायक : ओमप्रकाश वाल्मीकि - नरेन्द्र वाल्मीकि

वाल्मीकि समाज के गौरव और हिन्दी व दलित साहित्य के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, कवि, कथाकार आलोचक, नाटककार, निर्देशक, अभिनेता, एक्टिविष्ट आदि बहुमुखी प्रतिभा के धनी ओमप्रकाश वाल्मीकि जी का जन्म 30 जून 1950 को ग्राम बरला, जिला मुजफ्फरनगर (उ0 प्र0) में एक गरीब परिवार में हुआ था। ओमप्रकाश वाल्मीकि जी के पिता का नाम छोटन लाल व माता जी का नाम मुकन्दी देवी था। उनकी पत्नी का नाम चन्दा जी था, जो आपको बहुत प्रिय थी। अपनी भाभी की छोटी बहन को अपनी मर्जी से आपने अपनी जीवन संगनी के रूप में चुना था। उन्हें पत्नी के रूप में पाकर आप हमेशा खुश रहे। वाल्मीकि जी ने अपने घर का नाम भी अपनी पत्नी के नाम पर ‘‘चन्द्रायन'' रखा है, जो उनकी पत्नी से उनके अद्भुत प्रेम को दर्शाता है। वाल्मीकि जी के कोई सन्तान नहीं थी। जब आपसे कोई अनजाने में पूछ लेता तब चन्दा जी बताती थी कि हमारे बच्चे एक, दो नहीं बहुत बड़ा परिवार है। हमारे जितने छात्र ओमप्रकाश वाल्मीकि जी को पढ़ रहे है, उन पर शोध कार्य कर रहे है, वे सब हमारे ही तो बच्चे है। ओमप्रकाश वाल्मीकि जी के कार्यो पर पूरे देश में सैकडो छात्र-छात्राओ ने रिसर्च किया है । अपने जीवन के अंतिम समय तक ओमप्रकाश वाल्मीकि स्वयं भी भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, राष्ट्रपति निवास शिमला में फैलो के रूप में शोध कार्य करते रहे। ओमप्रकाश वाल्मीकि देहरादून में लम्बे समय तक कैंसर से जूंझते रहे और अंततः 17 नवम्बर 2013 को आपका निधन हो गया।
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